जिले में कल से शुरू होगी ओपीडी और आईपीडी सेवाएं

गाजीपुर। कोविड-19 संक्रमण की रफ्तार कम होने के साथ ही एक बार फिर से स्वास्थ्य व्यवस्था को सुचारू बनाने की कोशिश शुरू हो गई है। इसके मद्देनजर अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद का पत्र सूबे के समस्त जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को प्राप्त हो चुका है। इसमें प्रदेश के चिकित्सालयों में बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) व अंतः रोगी विभाग (आईपीडी) के साथ अन्य सेवा प्रारंभ किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। इसको लेकर जनपद में भी तैयारियां शुरू की जा चुकी हैं। शुक्रवार (4 जून) से ओपीडी व आईपीडी की सेवा समस्त सरकारी चिकित्सा इकाइयों पर संचालित की जाएगी। इस दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन कराया जाएगा। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एनएचएम) डा. केके वर्मा ने बताया समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कोविड प्रोटोकाल के साथ ओपीडी एवं आईपीडी सेवाएं 4 जून से प्रारंभ की जाएगी। इसके संबंध में शासन से पत्र प्राप्त हो चुका है। सभी स्वास्थ्य केंद्रों में फीवर क्लीनिक स्थापित की जाएगी। जिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को कोविड-19 अस्पताल के रूप में चयनित किया गया है, वहां नॉन कोविड-19 ओपीडी एवं आईपीडी सेवाएं प्रारंभ की जाएगी। जिन केंद्रों पर कोविड-19 पॉज़िटिव को भर्ती किया जा रहा है, उसे जनपद के एल-2 स्तर के अस्पताल में भेजा जाएगा। स्वास्थ्य केंद्र को सैनिटाइज कराकर नॉन कोविड चिकित्सा का कार्य प्रारंभ किया जाएगा। डा. वर्मा ने बताया कि समस्त प्रसव केंद्र पर गर्भवती महिलाओं के प्रसव का कार्य संचालित किया जाएगा। सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर यथास्थिति ऑपरेशन सिजेरियन प्रसव किया जाएगा। जिला चिकित्सालय में सर्जिकल ओपीडी मरीजों के ऑपरेशन किए जाएंगे। चिकित्सालय में ऑपरेशन के लिए भर्ती एवं ऑपरेशन से पूर्व रोगियों के ट्रूनेट एवं आरटीपीसीआर जांच भी करवाई जाएगी। उन्होंने बताया कि सभी जिला चिकित्सालयों में पोस्ट कोविड केयर सेंटर भी चलाया जाएगा, जिसमें पूर्व में दिए गए आदेश के अनुसार फिजीशियन, फिजियोथैरेपिस्ट एवं मानसिक रोग विशेषज्ञ की टीम काम करेगी। इसके साथ ही विशेष प्रयोजन के लिए बनाए गए अस्पताल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर फीवर कॉर्नर स्थापित किया जाएगा, जिससे कोविड-19 संभावित व्यक्तियों का परीक्षण यहीं कराया जा सके ताकि वह अन्य रोगियों से अलग रहे हैं।

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