प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में लाए गए धर्मांतरण कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने जवाब के लिए सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है। यह आदेश चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट ने याचियों से सरकार का जवाब दाखिल होने के बाद उस पर एक सप्ताह में प्रतिउत्तर शपथपत्र दाखिल करने को कहा है। साथ ही मामले को अगली सुनवाई के लिए दो अगस्त से प्रारंभ हो रहे सप्ताह में सूचीबद्ध करने को कहा है। एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनीशिएटिव व एक अन्य की ओर से दाखिल याचिका के जरिए धर्मांतरण कानून को चुनौती दी गई है। याचिका में धर्मांतरण कानून को संविधान के विपरीत बताते हुए कहा गया है कि सिर्फ सियासी फायदा उठाने के लिए यह कानून बनाया गया है। यह भी कहा गया कि इससे एक वर्ग विशेष के लोगों का उत्पीड़न भी किया जा सकता है। याचिकाओं में धर्मांतरण कानून के दुरुपयोग की भी आशंका जताई गई है। इसके अलावा कोर्ट ने अध्यादेश को चुनौती देने वाली छह याचिकाओं को खारिज भी किया है। कोर्ट ने कहा कि धर्मांतरण अध्यादेश अब कानून बन चुका है। ऐसे में इसे लेकर लंबित याचिकाओं पर सुनवाई करने का कोई औचित्य नहीं है। कोर्ट ने इसी के साथ धर्मांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली इन छह याचिकाओं में संशोधन की अर्जी भी नामंजूर कर दी है।