राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भक्ति चिंतामणि है। जिनके घर में बस जाती है, उनके लिये सदैव प्रकाश ही प्रकाश रहता है। मोह रूपी दरिद्रता मिट जाती है। अज्ञान का अंधेरा सदा के लिए समाप्त हो जाता है। मदादि पतंगे इससे हार जाते हैं। काम आदि चोर, चोरी करने के लिये पास नहीं आ सकते। भक्ति मणि के प्रभाव से विष भी अमृत के समान हो जाता है। जीवन का दर्शन ही बदल जाता है। भक्त अभय हो जाता है। यदि जीव को भक्ति मणि मिल जाये तो मोह गांठ छूट जायेगी और जीवन कृतकृत्य हो जायेगा। योगी को कभी रोग नहीं होता। यदि रोग आवे तो समझना कि उसके योग में कोई भूल हुई है। यशोदाजी की तरह काम करते हुए आप भी ठाकुर जी को देखते रहो। यौवन काल में जो संयम पूर्ण जीवन जीता है उसकी वृद्धावस्था दिव्य बनती है। जीवन को सुधारने का प्रयत्न यौवन-काल में ही करना चाहिये। रजोगुण से उत्पन्न काम-क्रोध रूपी शत्रु पाप की ओर प्रवृत्त करते हैं। अतः सत्त्वगुण बढ़ाओ और रजोगुण घटाओ। रसोई करते हुए प्रभु का नाम लो। गीत गाना हो तो कृष्ण-भक्ति के गीत गाओ। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर
जिला-अजमेर (राजस्थान)