वाणी से कीर्तन और आंखों से दर्शन करने से शुद्ध होता है मन: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम् पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि चार चीजों का सदा सेवन करना चाहिए। सत्संग, संतोष, दान और दया चार अवस्थाओं में आदमी बिगड़ता है, इसलिये इनमें सावधान रहना चाहिए युवानी, धन, अधिकार और अविवेक चार चीजें मनुष्य को बड़े भाग्य से मिलती हैं-भगवान को याद रखने की लगन, संतों की संगति, चरित्र की निर्मलता और उदारता। चार गुण बहुत दुर्लभ हैं- धन में पवित्रता, दान में विनय, वीरता में दया और अधिकार में निरभिमानिता। चार बातों को याद रखो। बड़े-बूढ़ों का आदर करना, छोटों की रक्षा एवं उनसे स्नेह करना, बुद्धिमानों से सलाह लेना और मूर्खों के साथ कभी न उलझना। वाणी और पानी का दुरुपयोग करने वाले अपराधी हैं। अंत में वाणी उसे दगा देती है। वाणी का दोष सब पापों का मूल है। वाणी, विचार, व्यवहार एवं सदाचार से जो सबको प्रसन्न रखे, उसके यहां भगवान् आते हैं। वाणी, व्यवहार और विचार शुद्ध रखो। यह तपश्चर्या है। वाणी से कीर्तन और आंखों से दर्शन करने से मन शुद्ध होता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना- श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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