वाराणसी। वॉशिंग लाइन में अब महज दस मिनट में ही ट्रेनों की सफाई हो जाएगी। इस दौरान ट्रेनों की साफ सफाई में खर्च होने वाले पानी की भी काफी बचत होगी। अभी एक कोच की धुलाई में औसतन एक हजार लीटर पानी खर्च होता है, लेकिन वाराणसी के मंडुवाडीह कोचिंग डिपो में पूर्वोत्तर रेलवे के पहले ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट का कार्य शुरू होने से अब एक कोच की धुलाई में सौ लीटर ही पानी खर्च होगा। वाराणसी के मंडुवाडीह कोचिंग डिपो में पूर्वोत्तर रेलवे के पहले ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट का कार्य शुरू हो गया है। प्लांट से ट्रेन के कोचों की धुलाई में लगने वाले समय में कमी आएगी। साथ ही इससे पानी की बचत भी होगी। इस पर निगरानी के लिए प्लांट में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर मंगलवार को यह जानकारी दी।अत्याधुनिक ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट के प्लांटेशन का कार्य विगत वर्ष अक्तूबर माह में शुरू किया गया था। जिसे मंगलवार को पूरा कर लिया गया। यह 10 मिनट में ही ट्रेन के 24 कोच की धुलाई कर सकता है। इससे 90 फीसद पानी की बचत होती है। प्लांट की एक और खासियत यह है कि इसके माध्यम से पानी को रीसाइकिल कर उपयोग में लिया जा सकता है। साथ ही इसमें सीसीटीवी भी लगाया गया है। जो ट्रेन के कोचों पर निगरानी रखता है। यह देखता है कि कोच सही से साफ हुए या नहीं।