गोरखपुर। अब हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी हिंदी में ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सकेंगे। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने आठ भाषाओं में पढ़ाई की अनुमति दी है। इसका सर्वाधिक लाभ ग्रामीण पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों को मिलेगा। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) ने हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने की तैयारी शुरू कर दी है। एआइसीटीई ने नए सत्र के लिए हैंडबुक जारी की है, जिसमें इसका जिक्र है कि देश के सभी तकनीकी संस्थान या विश्वविद्यालय नए अकादमिक सत्र (2021) से अपनी जरूरत के मुताबिक हिंदी, मराठी, गुजराती, बंगाली सहित आठ क्षेत्रीय भाषाओं में अध्ययन-अध्यापन करा सकते हैं। संस्थानों को यह सहूलियत नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए दी गई है, जिसमें मातृभाषा में अध्ययन को बढ़ावा देने पर जोर है। जो संस्थान अपनी क्षेत्रीयता का ध्यान रखते हुए इनमें से जिस भाषा में पढ़ाई कराने के इच्छुक हैं, उन्हें एक बार एआइसीटीई में आवेदन करना होगा। हैंडबुक प्राप्त होते ही मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने अपने विद्यार्थियों की जरूरत का ख्याल रखने हुए उन्हें हिंदी में पढ़ाई का विकल्प देने की तैयारी शुरू कर दी है।