16 फीट ऊंची श्रीरामंमदिर की प्लिंथ को वाटर प्रूफ बनाने के लिए डाला जाएगा ग्रेनाइट के पत्थरों का तीन लेयर

अयोध्‍या। भगवान श्रीराममंदिर न सिर्फ भव्यता की मिसाल होगा, बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी देश-दुनिया के चुनिंदा मंदिरों में शामिल होगा। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए हुए उत्खन्न क्षेत्र को 44 परतों में इंजीनियरिंग फिल से भरा जाना है। जब 44 परत की नींव बन जाएगी तब उसके ऊपर सात फीट मोटा राफ्ट बनाया जाएगा। 16 फीट ऊंची रामंमदिर की प्लिंथ को वाटर प्रूफ बनाने के लिए ग्रेनाइट के पत्थरों की तीन लेयर डाली जाएगी। उन्‍होंने कहा कि इंजीनियर फिल की गतिविधि 15 सितंबर 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य है। एलएंडटी ने इस काम के लिए तीन बैचिंग प्लांट, 15 डंपर, चार वायब्रो रोलर आदि तैनात किए हैं। इंजीनियरिंग फिल में विशेष रोढ़ी और रेत का उपयोग किया जा रहा है जो कि महोबा एवं छतरपुर से उपलब्ध कराया गया है। फलाईएश की आपूर्ति एनटीपीसी, ऊंचाहार से हो रही है। अब तक एलएंडटी ने 18 लाख क्यूबिक फीट पर कार्य कर लिया है। 44 परत की इंजीनियर फिल के ऊपर सात फीट मोटाई का राफ्ट तैयार होगा। इसके लिए सभी प्रकार की डिजाइन और ड्राइंग का कार्य पूरा किया जा चुका है। इसी राफ्ट के ऊपर प्लिंथ का निर्माण होगा। 16 फीट ऊंचे प्लिंथ के वाटर प्रूफिंग के लिए बाहर की सीमा पर ग्रेनाइट लगाएंगे। ग्रेनाइट की दो-दो फीट की तीन लेयर लगाकर तब मिर्जापुर के पत्थर लगाएंगे। बारिश की नमी का असर मिर्जापुर के सैंड स्टेन पर कम से कम पड़े, इसलिए ग्रेनाइट लगाया जा रहा है। यह पानी को सोखने में सहायक है। कितना-कितना पत्थर लग सकता है। इसकी गणना बैठक में हुई है। मंदिर में तीन लाख 60 हजार घनफुट पत्थर लग सकता है। प्लिंथ ऊंचा करने में भी मिर्जापुर व ग्रेनाइट को मिलाकर चार लाख घनफीट पत्थर चाहिए। परकोटा का पत्थर चार लाख घनफुट होगा जो कि जोधपुर से आएगा।

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