आत्मा का शून्य हो जाना ही मुक्ति है: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, तत्व के विषय में भी बड़ा मतभेद है सबके अलग-अलग मत हैं।

1-चार्वाक ÷ चार्वाक कहता है आत्मा परमात्मा कुछ नहीं है। पूछा गया ये हलचल क्यों है? चार्वाक कहता है जैसे पान का पत्ता हरा होता है, कत्था भूरे रंग का होता है, चूना सफेद होता है सुपारी भूरे रंग की होती है लेकिन चारों को मिला दो तो एक गाढ़ा लाल रंग, एक चौथा रंग पैदा हो जाता है। वैसे ही प्रकृति के पांच तत्व मिलते हैं तो उसमें छठवां गुण चेतना आ जाती है। आत्मा परमात्मा कुछ नहीं होता।

2-बौद्ध धर्म÷ बौद्ध धर्म ने परमात्मा को नहीं माना है,परन्तु आत्मा को माना है।’ धम्मम शरणं गच्छामि, बुद्धं शरणं गच्छामि।बौद्ध धर्म में ईश्वर को नहीं माना। बौद्ध दर्शन पढ़ने से पता लगता है, आत्मा होती है लेकिन उसे वे शून्य मानते हैं। इसीलिए बौद्धों को शून्यवादी कहा जाता है। हम लोग भगवान के पास पहुंचने को मुक्ति मानते हैं। बौद्ध कहते हैं जब तक ज्ञान है संसार में आना है। आत्मा का शून्य हो जाना मुक्ति है। एक तरह से आत्मा का नाश माना है। आत्मा का समाप्त हो जाना मुक्ति है।

3-जैन धर्म- जैन धर्म में आज तक निर्णय हो ही नहीं पाया कि ईश्वर है या नहीं है।जैनधर्म का ‘ श्यावाद ‘ दर्शन है। श्याबाद- इसका अर्थ सप्त भंगी न्याय, हो भी सकता है नहीं भी हो सकता है। आज तक निर्णय नहीं हो पाया।

4- सनातन धर्म का सिद्धांत- वेदांत दर्शन÷

(क) अभेदवादी÷ अद्वैत दर्शन÷ अद्वैत दर्शन में जीव की कोई सत्ता नहीं है। ब्रह्म ही जीव है। जिस तरह सूर्य एक है, घड़े में पानी रखा हो, सबमें सूर्य दिखेगा। ब्रह्म एक है, शरीर रूपी घट में जो बिम्ब पड़ रहा है वही जीव है।

(ख) वैष्णवाचार्य÷ विशिष्टाद्वैत दर्शन। कोई कहता है ब्रह्म नहीं है, वो भी गलत है। कोई कहता है जीव नहीं है, वो भी गलत है। दोनों एक हैं वो भी गलत है। ब्रह्म है केवल, माया अनिर्वचनीया है, उसके विषय में कहा नहीं जा सकता है। वैष्णवाचार्य कहते हैं माया भगवान की अचिंत्य शक्ति है। वैष्णवाचार्य कहते हैं,तत्व तीन है।1- परमात्मा,2- जीव 3-और माया।

माया भगवान की अंदर बिछिया सकती है तीन तत्व हैं और तीनों नित्य भगवान भी नृत्य और अनादि हैं जीव भी नृत्य और अनाज है और भगवान की माया भी नृत्य और अनादि है तत्व का सिद्धांत वैष्णव का सिद्धांत है इन तीनों तत्वों में जो ब्रह्म तत्व है उसी का विशेषण जीव और माया है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम,

श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *