नई दिल्ली। एचआईवी संक्रमित रोगियों के इलाज में मुफ्त एंटी रेट्रोवाइरल उपचार (एआरटी) काफी सफल हो रहा है। एआरटी के जरिये एचआईवी रोगियों में मृत्युदर कम हुई है। मरीजों के जीवन में भी काफी सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और नाको ने संयुक्त रूप से किए अध्ययन में इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि पांच साल के बाद एआरटी थेरेपी के जरिये रोगियों में मौत की आशंका आधी हुई है। साथ ही एचआईवी रोगियों में टीबी होने की आशंका में भी कमी आई है। जबकि जिन मरीजों को यह थैरेपी नहीं दी गई, उनमें टीबी होने की आशंका अधिक है। दरअसल एंटीरेट्रोवाइरल थैरेपी (एआरटी) शरीर में एचआईवी वायरस को फैलने से रोकता है। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि इस अध्ययन में पता चला है कि इसमें मरीजों के जीवन में काफी सुधार देखने को मिला है।