उत्तराखंड। चारों धामों के कपाट खुलने के लगभग चार महीने के बाद आज से चारधाम यात्रा शुरू हो गई है। शनिवार को बदरीनाथ धाम में श्रद्धालु तड़के ही दर्शन के लिए पहुंचे। सुबह 5:00 बजे से 9:30 बजे तक करीब डेढ़ सौ श्रद्धालुओं ने भगवान बदरीनाथ के दर्शन किए। अभी भी भक्तों के आने का सिलसिला जारी है। धाम में महाराष्ट्र, मुंबई, राजस्थान और अजमेर सहित कई राज्यों से श्रद्धालु पहुंचे हैं। तीर्थयात्री गंगोत्री धाम भी पहुंच रहे हैं। चारधाम यात्रा की एसओपी के खिलाफ बैठक:- वहीं यमुना मंदिर खरशाली में तार्थपुरोहितों ने चारधाम यात्रा की एसओपी के खिलाफ बैठक की। पुरोहितों का कहना है कि एसओपी पुरोहितों के हित में नहीं है। जब टीका-दान नहीं लेना है तो फिर हमें इस यात्रा ये क्या लाभ होगा।उधर, यमुनोत्रीधाम के प्रमुख पड़व जानकीचट्टी में यात्रियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। लेकिन प्रशासन की अधूरी तैयारियों के कारण सुबह 11 बजे के बाद यात्रियों का रजिस्ट्रेशन शुरू हो पाया। हेमकुंड साहिब के कपाट खुले:- वहीं सिखों के प्रमुख धाम हेमकुंड साहिब के कपाट भी शनिवार को सुबह 9:00 बजे विधिविधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। कपाट खुलने के दौरान 70 श्रद्धालु मौजूद रहे। इस दौरान सभी श्रदालुओं ने पहली अरदास में भाग लिया। शनिवार को पंच प्यारों की अगुवाई में सचखंड से गुरुग्रंथ साहिब को दरबार साहिब लाया गया। इसके बाद सुखमणी का पाठ, शबद किर्तन और इस साल की पहली अरदास हुई। हेमकुंड ट्ररूट के उपाध्यक्ष नरेंद्रजीत सिह विंद्र ने बताया कि सभी श्रदालु ऋषिकेश में अपना पंजीकरण कर ही यात्रा में निकले। यहां एक दिन में एक हजार यात्री ही धाम के दर्शन कर सकेंगे। हेमकुंड ट्रस्ट ने यात्रा को लेकर तैयारियां पूरी कर ली हैं। हेमकुंड ट्रस्ट के उपाध्यक्ष उपाध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को कोविड गाइड लाइन के नियमों का पालन करना होगा। श्रद्धालुओं को ऋषिकेश गुरुद्वारा ट्रस्ट के कार्यालय में पंजीकरण करवाकर प्रमाणपत्र साथ लाना होगा। उन्होंने कहा कि 60 साल से अधिक उम्र और 10 साल से कम आयु के बच्चे धाम में न आएं। साथ ही यात्रियों को किसी भी कुंड में स्नान करने की अनुमति नहीं होगी।