पुष्कर/राजस्थान। ‘सुखं मे भूयात् ‘ भीतर की चाह यही कहती है। परंतु हम अंधेरे में उलझे रहते हैं रास्ता नहीं मिलता। प्रकाश हो तो मार्ग दिखाई देगा। द्वार दिखें तो बाहर निकल सकेंगे। धर्मशास्त्र अध्यात्मा दीप हैं। इनके स्वाध्याय चिंतन और श्रवण से जीवन में ज्ञान का प्रकाश होगा और जीवन की हर समस्या का समाधान होगा। इसलिए स्वाध्याय, चिंतन श्रवण करते रहना चाहिए। कथा-गंगा- कथा को भागवती गंगा भी कहा जा सकता है। कथा को गंगा की उपमा दी। श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज भी कहते हैं- पूंछेहु रघुपति कथा प्रसंगा। सकल लोक जग पावनि गंगा।। उस गंगा को तो भागीरथ जी ले आये पृथ्वी पर। लेकिन कथा गंगा को भक्त लाये। भाव से, संकल्प से, प्रेम से। वह गंगा विष्णु के चरण से निकली इसलिये विष्णुपदी मानी गई। जबकी कथा गंगा विष्णु के मुख से निकली इसलिये विष्णुमुखी कहलाई। जो भगवान् के मुख से निकला वहीं है भागवत। निमज्जन- जो तपस्वी है वही है सज्जन। सज्जन बनने हेतु ही तो हम भागवत भागीरथी में निमज्जन अर्थात् गोता लगाते हैं। दुःखालय हैं संसार, जब तक स्वार्थ में जीते हैं तब तक संसार में दुःख ही है। संसार से सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती। फिर भी हम उसमें आसक्त हैं। पारायण- यदि प्रेम होगा, परमार्थ होगा, तो भगवान् भी अवश्य आयेगे। भगवान् आनंद सिंधु, सुख राशि हैं। भगवान् शांति स्वरूप है। स्वार्थ में संघर्ष, विषाद और दुःख है। यदि हमें प्रसाद चाहिए, आनंद चाहिए तो परमार्थ परायण बनें। प्रेमी ही परमार्थ प्राण हो सकता है। भागवत प्रभु पारायण बनाने वाली पारायण है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, उत्तर-प्रदेश। श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।