उत्तराखंड। मंगलवार को करीब डेढ़ साल बाद प्राइमरी स्कूलों में घंटी बजी तो छात्र-छात्राएं उत्साहित नजर आए। कोरोना के कारण लंबे समय से बंद कक्षा एक से पांचवीं तक के 14007 सरकारी और निजी स्कूलों में आज से ऑफलाइन पढ़ाई शुरू हो गई है। स्कूल खुलने पर कई जगह शिक्षकों ने बच्चों का गेट पर ही स्वागत किया। अधिकतर सरकारी स्कूलों की कक्षाएं तीन घंटे चलेंगी। प्रदेश में कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए मार्च 2020 में प्राथमिक स्कूलों को बंद कर दिया गया था। अब स्थिति कुछ सामान्य होने के बाद शासन की ओर से मंगलवार से स्कूलों को खोलने का आदेश जारी किया गया था। शिक्षा निदेशक के मुताबिक स्कूल बंद होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर इसका असर पड़ा है। पढ़ाई के नुकसान को कम किया जा सके इसके लिए डायट और एससीईआरटी के सहयोग से बच्चों के लिए ब्रिजकोर्स चलाया जाएगा। शिक्षा निदेशक ने कहा कि स्कूलों में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से पढ़ाई जारी रहेगी। अभिभावकों पर बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर किसी तरह का दबाव नहीं होगा। शासन के आदेश के बाद विभाग की ओर से स्कूलों को खोले जाने को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। शिक्षा निदेशक रामकृष्ण उनियाल के निर्देशों के अनुसार सभी स्कूलों में एसओपी का पूरी तरह से पालन करते हुए बच्चों को प्रवेश दिया गया। अधिकांश स्कूलों में बच्चों को थर्मल स्क्रीनिंग और सैनिटाइजेशन के बाद ही एंट्री मिली। काशीपुर के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पहले ही दिन एसओपी का पालन नहीं किया गया। कुछ स्कूलों में बैठने की कम जगह होने के कारण बच्चों को आसपास बैठया गया। वहीं सैनिटाइजेशन भी नहीं कराया गया। गढ़वाल के भी कई स्कूलों में यही स्थिति नजर आई। स्कूल प्रबंधन की ओर से अभिभावकों को पहले ही सूचित कर दिया गया था कि छात्र-छात्राएं स्कूल आने से पहले अपनी पानी की बोलत के साथ मास्क और सैनिटाइजर भी साथ लेकर आएं। देहरादून केवि में व्यवस्था की गई कि छात्रों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत यानी एक दिन छोड़कर पढ़ाई कराई जाएगी। जो छात्र स्कूल नहीं आ पाएंगे उनके लिए ऑनलाइन कक्षाएं चलेंगी। वहीं स्कूल आने वाले छात्र-छात्राओं को अभिभावकों का सहमति पत्र साथ लाना होगा। उत्तरकाशी में जब स्कूल खुले तो बच्चों में पढ़ाई के साथ ही खेलने को लेकर भी उत्साह दिखा। पढ़ाई के बाद छात्र खुले मैदान में बैडमिंटन खेलते हुए नजर आए। कोविड प्रोटोकॉल का पालन स्कूलों में केवल छात्र-छात्राओं को ही नहीं कराया गया, बल्कि कई जगह स्कूलों में शिक्षक और प्रिंसिपल भी फेसशील्ड लगाए दिखीं।