नई दिल्ली। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पाल ने कहा कि अभी सरकार का लक्ष्य देश के सभी वयस्कों के टीकाकरण पर है। बच्चों की वैक्सीन का अलग मामला है। इसे लेकर अभी विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ने भी कोई सिफारिश नहीं की है। बच्चों की वैक्सीन को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। स्वदेशी वैक्सीन ‘कोवॉक्सिन’ को डब्ल्यूएचओ की मंजूरी को लेकर डॉ. पाल ने कहा कि इस महीने के अंत तक निर्णय हो सकता है। डॉ. पॉल ने यह बात जॉयडस कैडिला की कोविड-19 वैक्सीन जॉयकोव-डी को लेकर पूछे गए सवाल के बारे में कही। जॉयकोव-डी को 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को भी लगाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इसकी कीमत को लेकर चर्चा जारी है, जल्द ही इस पर फैसला लिया जाएगा। हम इस टीके को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करना चाहते हैं। नीति आयोग के सदस्य डॉ. पॉल ने कहा कि इस समय हमारा ध्यान सभी वयस्कों को टीका लगाने पर होना चाहिए। दुनिया भर में, बच्चों के लिए टीकाकरण पर ज्यादा जोर नहीं है। डब्ल्यूएचओ आज भी बच्चों के लिए कोरोना के सामान्य टीकाकरण की सिफारिश नहीं करता है। घबराने की जरूरत नहीं है। हम घटनाक्रम के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। कोवॉक्सिन को डब्ल्यूएचओ की मंजूरी के बारे में डॉ. पॉल ने कहा कि अभी डेटा साझाकरण, डेटा मूल्यांकन चल रहा है। मामला निर्णय के करीब है। हमें विश्वास है कि इस महीने के अंत से पहले सकारात्मक निर्णय आ सकता है। हमें डब्ल्यूएचओ को निर्णय लेने के लिए समय देना चाहिए। जो लोग कोवॉक्सिन लगवा रहे हैं, उन्हें यात्रा की कुछ अनिवार्यताएं हैं। इसलिए डब्ल्यूएचओ की इस वैक्सीन को मंजूरी जरूरी है। डॉ. पॉल ने कहा कि हम सभी भारतीयों और हमारे देश के लिए गर्व की बात है कि कोविड-19 वैक्सीन की 75 करोड़ डोज़ लगाई जा चुकी हैं। अब तक मोटे तौर हम दो वैक्सीन पर निर्भर थे, आगे बढ़ते हुए हम न सिर्फ इन वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाएंगे बल्कि दूसरी वैक्सीन भी उपलब्ध होंगी।