धर्म से समृद्ध और परलोक में सद्गति की होती है प्राप्ति: दिव्य मोरारी बापू
राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी ने कहा कि न्याय धर्म शास्त्रों में धर्म की व्याख्या करते हुए कहा गया है कि यतोऽभ्युदय निःश्रेयष सिद्धीः सधर्मः। जिसके द्वारा इस जगत में भौतिक रूप से समृद्ध और परलोक में सद्गति की प्राप्ति हो वही धर्म है। इस जगत की उन्नति में न्याय व्यवस्था सबसे महत्वपूर्ण कारक है। यही न्याय व्यवस्था आपके परलोक साधन में भी सहायक है। ध्यान रहे ऋषि मुनि कहते हैं कि धर्म वही है जो लोक और परलोक को एक साथ साध्य बना दे। न्याय के स्थापन से आप अपना परलोक भी संवार सकते हैं। संत कहते हैं कि परोपकारी धर्मात्मा बिना साधन भजन के भी परमात्मा को प्राप्त कर लेता है। जो दूसरों को सुख पहुंचाते हैं परमात्मा उसे ही सुख देते हैं। कोई आदमी अन्याय से पीड़ित हो, अत्यंत दुख संतप्त, अंदर से व्यथित हो और निसहाय हो, न्याय के लिए विकल हो ऐसी दुरावस्था नहीं यदि उसको न्याय मिल जाय तो उसे जो राहत मिलेगी, उसकी अंतरात्मा से जो आशीर्वाद निकलेगा वही आशीर्वाद परमात्मा तक पहुंचा देगा। ऐसे न्याय प्रिय मनुष्य को भगवान अपनी गोद में उठा लेंगे। जो फल बर्षों की साधना से, सैकड़ों वर्तों और तीर्थों के सेवन से मिलता है। वह फल न्याय स्थापना में सहयोगी बनने से सहज में मिल जाता है। भगवान को न्याय ही प्रिय है। कुरुक्षेत्र के मैदान में भीष्म पितामह, आचार्य द्रोण जैसे भक्तों को भगवान् श्रीकृष्ण कूटनीति करके मरवाते हैं। यद्यपि वे लोग भगवान के भक्त थे तथापि अन्याय के पक्ष में थे, अतः भगवान उन्हें भी मरवा देते हैं। रामायण में बाली, सुग्रीव की अपेक्षा साहसी और भक्त दिखता है। यदि भगवान् श्रीराम बाली को मित्र बना लेते तो सीता जी की खोज आसान हो जाती। बाली का एक संदेश भी रावण को पराभूत करके श्री राम की शरण में ला देता। इतनी सारी संभावनाओं के बावजूद भगवान श्रीराम ने बाली को नहीं, बल्कि सुग्रीव को अपना मित्र बनाया, क्योंकि सुग्रीव को न्याय मिलना चाहिए था। इसका मतलब हुआ कि भगवान को न्याय प्रिय है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर
जिला-अजमेर (राजस्थान)। बापू पूज्य बापू जी के जन्मदिवस पर आयोजित श्री मद्भागवत कथा जनवरी 2022, स्थान नवनिर्मानाधीन गोवर्धन धाम आश्रम में आप सभी भक्त सपरिवार सादर आमंत्रित हैं। इस कथा में मूल पाठ करवाने हेतु 108 भागवत कथा के यजमान अपेक्षित है। अभी तक जो यजमान बने हैं, उनमें कुछ यजमानों की सम्पूर्ण राशि प्राप्त हो गई है और कुछ यजमानों की राशि आनी बाकी है। कार्यक्रम नजदीक आ जाने से अब व्यवस्थाओं व लाइव टीवी बुकिंग हेतु व आर्थिक पक्ष की पूर्ति हेतु अभी धनराशि की तत्काल आवश्यकता है। अतः आप सभी से अनुरोध है कि आप सभी अपनी बकाया राशि ट्रस्ट के बैंक खाते में जमा करवाएं और अपना पैन न. व्हाट्सएप करें। अभी तक 108 यजमानों में लगभग 25 यजमान बनने शेष हैं। अतः आप भक्तों में जो अब तक नहीं बन पाएं हों तो शीघ्र सम्पर्क कर यजमान बनें और लाभ प्राप्त करें। अपनें मित्रों, रिश्तेदारों और परिचितों को भी प्रेरित कर यजमान बना कर लाभ ले सकते हैं। सम्पर्क सूत्र 9636183141, 9414300001, बैंक खाता: श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट। 51042322500, IFSC.SBIN0031602, SBI PUSHKAR, 41830100006163, IFSC.BARB0GOVMAT
MATHURA/GOVERDHAN