उत्तराखंड। सरकार ने टीएचडीसी इंडिया को टिहरी बांध का जलस्तर दो मीटर और बढ़ाने की अनुमति दे दी है, जिससे अब टीएचडीसी बांध का जलस्तर अधिकतम आरएल 830 तक बढ़ा सकती है। वहीं सरकार के इस फैसले से टिहरी बांध प्रभावित नाराज हैं। प्रभावितों का कहना है कि सरकार को पहले चिह्नित 415 परिवारों का पुनर्वास करना चाहिए था। उसी के बाद झीलस्तर बढ़ाने की अनुमति देनी चाहिए। शासन ने टिहरी बांध से प्रभावित चिह्नित 415 परिवारों के पुनर्वास के लिए प्रति परिवार 74-74 करोड़ मुआवजा देने और प्रतापनगर के रौलाकोट गांव के पूर्ण पुनर्वास के निर्देश दिए थे। यही नहीं टीएचडीसी को पुनर्वास के मामले में हाईकोर्ट में दर्ज केस वापस लेने के भी निर्देश दिए थे। इसके बाद से ही टीएचडीसी बांध का जलस्तर आरएल 828 से बढ़ाकर आरएल 830 करने पर अड़ी थी। टीएचडीसी के अधिकारियों का कहना है कि जलस्तर बढ़ने से बिजली उत्पादन बढ़ेगा और टीएचडीसी के साथ ही सरकार को भी राजस्व मिलेगा। पुनर्वास निदेशक/डीएम इवा आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि 25 अगस्त को सचिव सिंचाई हरीशचंद्र सेमवाल की ओर से जारी आदेश में टीएचडीसी को बांध का जलस्तर दो मीटर बढ़ाने की अनुमति दे दी है। इस फैसले से टिहरी बांध आंशिक डूब क्षेत्र संघर्ष समिति, भटकंडा, रौलाकोट सहित अन्य गांव के लोगों में रोष है। समिति के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा और प्रदीप भट्ट ने बताया कि बांध प्रभावितों का प्राथमिकता के साथ पुनर्वास और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। इसके बाद ही जल स्तर बढ़ाने की अनुमति मिले। कहा कि जल्द ही इस मामले में पुनर्वास निदेशक से वार्ता करेंगे। रौलाकोट निवासी अरविंद प्रसाद नौटियाल ने पूरे गांव का एक ही जगह पर पुनर्वास करने की मांग की।