नई दिल्ली। देश में कोयले की कमी से जूझ रहे पावर प्लांट्स के लिए रेलवे ने युद्ध स्तर पर कोयले की आपूर्ति करना शुरू कर दिया है। एक अक्तूबर को जहां भारतीय रेलवे रोज कोयले की 350 रैक की लोडिंग कर रहा था, वहीं अब 450 से ज्यादा रैक कोयला खदानों से पावर प्लांट्स तक पहुंचा रहा है। 12 अक्तूबर को 1.785 मिलियन मीट्रिक टन कोयला लोड हुआ, तो बीते वर्ष इस दिन तक 1.535 मिलियन टन कोयला लोड हुआ। पिछले साल के मुकाबले रेलवे ने एक दिन में 16 फीसदी ज्यादा मीट्रिक टन कोयला लोड किया। जानकारी के अनुसार देश के पावर प्लांट्स जब कोयले की कमी से जूझने लगे तो रेलवे प्लांट्स में कोयला पहुंचाने के लिए जोर-शोर से जुट गया। इसके बाद रेलवे ने संबंधित मंत्रालयों के अधिकारियों के साथ बैठक की। फिर रेलवे ने तेजी से अपनी कोयला लोडिंग में लगातार वृद्धि करना शुरू कर दिया। अक्टूबर तक 20 मिलियन टन कोयला लोड हो चुका है। जबकि पिछले वर्ष इसी माह में 17.65 मिलियन टन कोयला लोड हुआ है। बीते वर्ष की तुलना में इस माह में 13 फीसदी ज्यादा कोयला लोड हुआ है। 13 अक्टूबर तक रेलवे 323 मिलियन टन कोयला लोड कर चुका है। जबकि पिछले वर्ष इस दिन रेलवे ने केवल 251 मिलियन टन कोयला लोड किया। यानी इस माह में 28 फीसदी ज्यादा कोयला लोड हुआ है। रेलवे के कोयला लोडिंग के बीते सप्ताह के आंकडों के अनुसार रेलवे ने सात से लेकर 12 अक्टूबर तक रोजाना 450 रैक के करीब लोडिंग की। वहीं, मंगलवार 12 अक्तूबर को ये आंकड़ा 470 रैक चला गया। औसतन एक रैक में 4-5 हजार मीट्रिक टन कोयला ढुलाई होती है। मौजूदा समय में रेलवे ने मांग के अलावा 100 के करीब अतिरिक्त रैक को रिजर्व में रखा है, जिससे जरूरत पड़े तो और लोडिंग की जा सके। फिलहाल रेलवे हर रोज करीब 450 से ज्यादा रैक यानि करीब 4000 टन कोयले की ढुलाई कर रही है, माना जा रहा है कि यह 500 रैक तक पहुंचने के बाद पावर प्लांट्स में कोयले का संकट खत्म हो जाएगा। दूसरी तरफ दो साल पहले मालगाड़ियों की औसत स्पीड 24 किलोमीटर प्रतिघंटे से बढ़कर करीब 46 किलोमीटर प्रति घंटे हो चुकी है। बारिश की वजह से कोयले की कम खुदाई और ढुलाई की वजह से देश के कई पावर प्लांट्स में कोयले का स्टॉक काफी कम हो गया है, इससे कई प्लांट्स में बिजली के उत्पादन पर असर पड़ने का भी आशंका जताई जा रही है।