भक्ति से ज्ञान और वैराग्य की होती है प्राप्ति: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सत्संग के अमृतबिंदु- ।।भजत कृपा करिहैं रघुराई।। भक्ति की प्राप्ति कैसे होती है? प्रभु श्रीराम स्वयं बतला रहे हैं। भक्ति अगर आप प्राप्त करना चाहते हैं, तो अवश्य प्राप्त करो। जिसे भक्ति मिल जाती है उसे ज्ञान और वैराग्य अपने आप प्राप्त होते हैं। ज्ञान-वैराग्य, भक्ति से मिलते हैं और भक्ति कैसे मिलती है? भगति तात अनुपम सुख मूला। मिलइ जो संत होहिं अनुकूला।। “विना महत्पादरजोभिषेकं” जब तक संत की कृपा आपके ऊपर नहीं होगी, तब तक भक्ति प्राप्त नहीं हो सकती और संतों की कृपा कब होगी? जब आप संतों की शरण में जायेंगे, उन पर विश्वास करेंगे, उनके आदेश का पालन करेंगे तो भक्ति आपको मिल जाएगी। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

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