भगवान् के अवतार का प्रधान कारण है भक्तों का प्रेम: दिव्य मोरारी बापू
राजस्थान/पुष्कर। श्रीगुलाब बाबा की धूनी, देव-दरबार का पावन स्थल, परम पूज्य महाराज श्री-श्रीघनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय समस्त भक्तों के स्नेह और सहयोग से चल रही श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ कथा के चतुर्थ दिवस, कथा वक्ता श्री-श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भगवान् के अवतार का प्रधान कारण भक्तों का प्रेम है। जो निर्गुण निराकार परमात्मा है, वही भक्तों के प्रेम से सगुण साकार बनकर प्रगट हो जाते हैं। भगवान् का अपना कोई आकार नहीं है, जैसे पानी! पानी को जिस पात्र में रखते हैं पानी उसी का आकार ग्रहण कर लेता है। भक्तों के भक्ति भावना के अनुसार भगवान उसे दर्शन देते हैं। किसी भक्त की भावना होती है भगवान श्री राधा कृष्ण के प्रति , तो भगवान् उसे राधा-कृष्ण के रूप में दर्शन देते हैं। किसी की भक्ति भावना- श्री सीताराम जी के रूप में है, तो भगवान् उसे श्री सीताराम जी के रूप में दर्शन देते हैं। भगवान अवतार लेकर तीन कार्य करते हैं। असुर मारि थापहिं सुरन्ह राखहिं निज श्रुति सेतु। जग विस्तारहिं विशद जसु रामजन्म कर हेतु। भगवान अवतार लेकर दुष्टों का संहार करते हैं। सज्जनों की रक्षा करते हैं। हम आपको मानव जीवन कैसा जीना चाहिए ये अपने चरित्र से शिक्षा देते हैं, जिसे रामायण और भागवत के रूप में पढ़ सुन कर, हम-आप सत्मार्ग पर चलाकर परम कल्याण को प्राप्त करते हैं। परमात्मा माता-पिता के माध्यम से हम-आप को जन्म देते हैं, सद्गुरु के माध्यम से श्रेष्ठ मार्ग दर्शन करते हैं। माता-पिता-गुरु जन संसार में हमारे-आपके लिये ईश्वर के स्वरूप हैं। माता-पिता की सेवा करना, उन पर कोई अहसान नहीं। मात-पिता के चरणों से बढ़कर दूजा कोई धाम नहीं। चरणों को छू लेने भर से, चार धाम तीर्थ हो जाये। दुःख सहना मात-पिता के खातिर फर्ज है, कोई अहसान नहीं। कर्ज है इनका तेरे सिर पर, भिक्षा या कोई दान नहीं। मात-पिता जायदाद है ऐसी जिसका कोई दाम नहीं। श्रीकृष्ण प्राकट्य की कथा का गान किया गया और बड़े भाव से नंदोत्सव मनाया गया। कल की कथा में बाल-लीला एवं गोवर्धन पूजा की कथा का गान किया जायेगा।