भगवान कर्म नहीं, करुणावश लेते है अवतार: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि कर्मवश जन्म और करुणावस अवतारः एक राजा को मिलने के लिए कुछ लोग राजमहल में आये। हम राजा से मिलना चाहते हैं। उनके दर्शन करना चाहते हैं। तो राजा के सैनिकों ने उन्हें कहा कि’ इस समय तो आप उनसे नहीं मिल सकते क्योंकि राजा इस वक्त यहां उपस्थित नहीं है। ‘कहां गये हैं? तो कहा कि’ वे तो इस वक्त जेल में हैं! तो क्या इससे यह मान लेना चाहिए कि राजा ने कोई अपराध किया है और उसे जेल की सजा हुई है? हुआ यह था कि उस दिन राजा का जन्मदिन था। इस खुशी में अन्य राजा महाराजाओं की तरह वे भी जेल के कैदियों की सजा माफ करके उन्हें जेल से मुक्त करने गये थे। भगवान् भी इसीलिए कारागृह में करुणा बस प्रकट हुए कि कर्म बस? यह जो हमें संसार के कारागृह में आना पड़ा है, उसमें से वे हमें मुक्त करने। हमें मुक्ति दिलवाने के लिए। करके गुनाह माफ मेरे जन्म-जन्म के, ‘ब्रह्मानंद’ अपने चरणों में मुझको लगा लिया। किस देवता ने आज मेरा दिल चुरा लिया, दुनियां की खबर न रही तन को भुला दिया। राजा कारागृह में गये हैं तो करुणा बस गये हैं। भगवान अवतार लेते हैं तो कर्म वस नहीं, करुणावश लेते हैं। जीव को आना पड़ता है कर्मवश और भगवान् आते हैं करुणा बस। उससे यह भी समझना चाहिए कि कारागृह में कैदी भी होते हैं और जेलर साहब भी होते हैं। लेकिन जेलर साहब अंदर जाने के लिए भी स्वतंत्र और बाहर जाने के लिए भी स्वतंत्र होते हैं। दूसरे लोग स्वतंत्र नहीं होते। घर और कारावास में अंतर है, घर में आप अंदर जाने के लिए भी स्वतंत्र होते हैं और बाहर जाने के लिए भी स्वतंत्र होते हैं। लेकिन कारागृह में ऐसी स्वतंत्रता नहीं होती। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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