पुष्कर/राजस्थान। राष्ट्रीय संत श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि संसार के जड़ पदार्थों से अधिक स्नेह करना, जड़ता को बढ़ाना है। संसार को काम-दृष्टि एवं भोग-दृष्टि से मत देखो। जब तक दोष-दृष्टि रहेगी तब तक देव दृष्टि प्राप्त नहीं होगी। संसार को त्यागने की जरूरत नहीं, विषयों का मोह त्यागो। संसार खराब नहीं है, किन्तु मन अशुद्ध होने के कारण जगत् बिगड़ा हुआ नजर आता है। संसार दावाग्नि है, यह चारों ओर से जीवों को जलाती है। यह चारों तरफ से सुलगती है। दुःख रूप अग्नि सबको जलाती है। इसलिये आंखें बंद रखो और भगवान् के नाम का चिंतन करो। इससे प्रभु दुःख दूर करेंगे। संसार में पाप है ऐसी कल्पना मत करो। पाप हो तो उसका जवाब तुम्हें नहीं देना है। जो पाप तुम्हारे मन में है, उसी का जवाब तुम्हें देना पड़ेगा। संसार में सब जानते हैं कि अकेले ही जाना है। फिर भी पुरुष के बिना स्त्री को और स्त्री के बिना पुरुष को चैन नहीं पड़ता। संसार में स्वार्थ और कपट का सम्बन्ध है। पति-पत्नी के प्रेम में भी स्वार्थ और कपट होता है। संसार मेरे लिए क्या कहता है, यह जानने की इच्छा मत रखो, किन्तु जगदीश्वर मेरे लिए क्या कहते हैं, इसका ध्यान रखो। संसार-सुख में फंसा हुआ व्यक्ति ईश्वर-भजन नहीं कर सकता। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।