पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि वनवास की अवधि पूरी कर, भगवान लंका विजयोपरांत अयोध्या पहुंचे। भगवान श्रीराम ने पुष्पक विमान को अपने पास नहीं रखा, जिस की कमाई उसके पास जाओ। न अपने पास रखा, न विभीषण के पास रखा, कुबेर के पास भेज दिया। राम के पूरे जीवन को पढ़ो, सुनो शास्त्रीय दृष्टि से तो पता लगेगा आपको। हम लोग दूसरों की किताबें पढ़ते हैं, मन में संशय होने लगते हैं। क्या हुआ? अब भगवान ने उतने ही रूप बना लिए, जितने लोग सामने खड़े थे। सब से मिलना है, एक क्षण में सबसे मिल गये। श्री भरत लाल जी चरणों में गिरे। भगवान ने आके गले लगा लिया। देवता पुष्प वर्षा के, बाजे बजाकर, जय-जयकार करते हैं। एक व्यक्ति को एक ही राम दिखता है। अंत में प्रभु सबसे पहले कैकेयी के यहां गये।