हिमाचल प्रदेश। पवित्र मणिमहेश के बड़े शाही स्नान के लिए दशनामी अखाड़ा की छड़ी भरमौर से डल झील के लिए रवाना हुई। शनिवार को छड़ी हड़सर में पड़ाव डालेगी। रविवार को धन्छौ में रात्रि विश्राम होगा। सोमवार को छड़ी डल झील पहुंचेगी। धर्मराज मंदिर के पुजारी पंडित लक्ष्मण दत्त शर्मा ने शनिवार को विशेष पूजा करने के बाद छड़ी को रवाना किया। दशनामी अखाड़ा की छड़ी के साथ भरमौर में ठहरे जम्मू-कश्मीर के श्रद्धालु भी मणिमहेश रवाना हुए। श्रद्धालुओं के जत्थे अपने साथ देव चिह्न लेकर आए हैं। बता दें कि 13 सितंबर को राधाअष्टमी के दिन ही बड़ा शाही स्नान होगा। शिव चेले उसी दिन डल तोड़ने की परंपरा निभाएंगे। इसी दिन आधिकारिक रूप से पवित्र मणिमहेश यात्रा का समापन होगा। देवचिह्न डलझील में पहुंचाकर शिव भक्त शाही स्नान करेंगे। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। कोरोना के चलते प्रशासन गिने-चुने शिव भक्तों को ही यात्रा पर जाने की अनुमति दे रहा है। श्रद्धालु भी कोविड नियमों का पालन करते हुए मणिमहेश यात्रा पर पहुंच रहे हैं। पहले जम्मू-कश्मीर से सैकड़ों श्रद्धालुओं के जत्थे आते थे, लेकिन इस बार कोविड की वजह से डेढ़ या दो दर्जन श्रद्धालुओं वाले जत्थे ही जम्मू से चंबा पहुंच रहे हैं। कोरोना के कारण चुनिंदा लोगों को ही प्राचीन रस्में निभाने की अनुमति मिली है। शिव चेले संचूई रविवार को मणिमहेश मंदिर में आशीर्वाद लेने के बाद डल झील के लिए कूच करेंगे। छड़ी और शिव चेले सोमवार दोपहर को डल झील पर एकत्रित होंगे। इसके बाद बड़ा शाही स्नान शुरू होगा।