पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ब्रह्मा जी बोले-” हे नारद ! गिरजा ने अपने पुत्र को पुनः जीवित देखकर आनंदोत्सव मनाया और उन्हें अनेक प्रकार के वस्त्र देकर कहा-” हे पुत्र ! इस समय हम तुम्हारे भाल पर सिंदूर देखते हैं, इसलिए तुम्हारी पूजा सिंदूर से हुआ करेगी। जो तुम्हारी पूजा करेगा, उसके पास सिद्धियां बनी रहेंगी।” शिव जी ने भी अत्यंत प्रसन्न होकर कहा-” हे देवताओं! यह हमारा पुत्र है, इसका नाम गणपति है।” गणपति ने भी उठकर सबको प्रणाम किया तथा कहा-” हे देवताओं ! आप मेरा अपराध क्षमा करें। तब तीनों देवताओं ने प्रसन्न होकर कहा-” हे गणपति ! तुम्हारी पूजा हम तीनों देवताओं के समान ही होगी। जो सर्वप्रथम तुम्हारी पूजा न करेगा, उसको पूजा का कुछ भी फल प्राप्त न होगा।” यह कहकर सबने प्रथम गणपति की पूजा की तथा प्रणाम कर यह वरदान दिया कि तुम भाद्र कृष्ण चतुर्थी को उत्पन्न हुए हो, इसलिए तुम्हारा व्रत चौथ को हुआ करेगा। तुम्हारा व्रत करने वाले भक्त सुखी एवं प्रसन्न रहेंगे। सबको तुम्हारी सेवा से आनंद प्राप्त होगा और सबको तुम्हारी पूजा आदि करना चाहिए। इसके पश्चात विष्णु जी तथा अन्य सब देवताओं ने गणपति की अत्यंत उत्तम एवं पवित्र स्तुति की।” इतनी कथा सुनाकर सूत जी बोले- ” हे मुनियों ! जब ब्रह्मा जी इतना कह चुके तो वे अत्यंत आनंद में मग्न हो गये। उसी आनंद में उन्होंने गणेश जी की एक स्तुति बनाकर नारद जी को सुनाएं। फिर कहा “हे नारद ! इसके पश्चात शिवजी से विदा होकर समस्त देवता वहां से चले गए। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा,(उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)