नई दिल्ली। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) हो या जीएसटी टैक्स कलेक्शन, हर मानक पर साफ दिखाई पड़ रहा है कि देश की अर्थव्यवस्था सुधर रही है। आयात की तुलना में निर्यात बढ़ने के आंकड़े भी यही तस्वीर पेश कर रहे हैं। इसका सीधा असर देश में नौकरियों के अवसरों में दिखाई पड़ने लगा है। एसबीआई की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अप्रैल-जून की तिमाही में कुल 30.74 करोड़ लोगों को नौकरी मिली है। इसमें 16.3 लाख लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अपने करियर में पहली नौकरी हासिल की है। यानी कुल नौकरियों का आधे से अधिक ऐसे युवाओं को गया है, जिन्होंने पहली बार काम करना शुरू किया है। ईपीएफओ और एनपीएस की रिपोर्ट के आधार पर दावा किया गया है कि अगर अर्थव्यवस्था में तेजी का यही रूख बना रहा तो इस साल वित्त वर्ष 2021-22 में 50 लाख से ज्यादा पहली बार नौकरी करने वाले युवाओं को जॉब्स में अवसर मिल सकता है। पिछले वर्ष में यही आंकड़ा 44 लाख के करीब रहा था। कोरोना की पहली लहर में पूर्ण लॉकडाउन लगाने से अर्थव्यवस्था चौपट हो गई थी। उस दौरान करोड़ों लोगों को अपनी रोजी-रोटी से हाथ धोना पड़ा था। लेकिन कोरोना महामारी की दूसरी लहर में पहली लहर की तरह पूर्ण लॉकडाउन लगाने का निर्णय नहीं किया गया, जिसका असर यह हुआ कि इस दौरान भी अर्थव्यवस्था में आवश्यक सेवाएं लगातार चलती रहीं और अर्थव्यवस्था को अपेक्षाकृत काफी कम नुकसान हुआ। इसके साथ ही कोविड की दूसरी लहर में पहली के मुकाबले श्रमिकों की भागीदारी में भी अपेक्षाकृत काफी कम कटौती हुई। बता दें कि अप्रैल, मई और जून के महीने में संक्रमण की दूसरी लहर अपनी पीक पर थी, लेकिन इसके बाद भी इसी दौरान 28.9 लाख पहली बार ईपीएफ लाभ लेने वाले लाभार्थियों को रजिस्टर किया गया था।