पुष्कर/राजस्थान। देवता और दैत्यों के द्वारा- क्षीरसागर-मंथन करने पर बहुत से अमूल्य रत्न निकले99नों की एक माला बनाई। राज्याभिषेक के समय सभी सुख के साज-समाज से युक्त श्री रघुनाथ जी को विभीषण जी ने वही रत्नमाला भक्ति पूर्वक भेंट की। उसे देखकर सभा के सभी लोगों को लेने की बड़ी भारी इच्छा हुई। रघुनाथ जी ने वह माला हनुमान जी के गले में डाल दी। हनुमान जी श्रीचरण-सेवा में मग्न थे, माला के स्पर्श से उन्हें होश हुआ। माला देखकर बुध घबरा गई। राम नाम हीन रत्नमाला किस काम की। एक-एक करके मणिया फोड़-कर देखी, भीतर भी राम नाम न पाकर डाल दी। पूछने पर कहा कि ‘राम नाम हीन माला किस काम की। विभीषण ने पूछा- आपके शरीर में राम नाम कहां है? जिसे आपने धारण कर रखा है।तब हनुमान जी ने शरीर की खाल के एक पर्त को खोलकर भीतर लिखे राम नाम का दर्शन कराया। देखकर सभी की बुद्धि हो गई, लोग आश्चर्य से चकित हो गये। सत्संग के अमृतबिंदु- प्रसाद-बुद्धि प्रत्येक वस्तु परमात्मा को अर्पित करो और फिर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करो। हम जिस का उपयोग करते हैं, जिसके आधार पर जीवित रहते हैं, वह सब परमात्मा का है। प्रभु जिस स्थिति में रखें, उसी में संतोष मानोगे तो ही सुखी हो सकोगे। प्रभु की इच्छा में आप अपनी इच्छा मिला देंगे तो भक्ति बाढ़ के पानी की तरह बढ़ेगी। सुख को प्रभु की कृपा समझने वाला तो साधारण भक्त है। अनुकूलता हो या प्रतिकूलता, दोनों में ईश्वर का उपकार ही मानो। प्रभु के द्वारा दी गई परिस्थिति को स्वीकार न करना प्रभु के प्रति नाराजगी प्रगट करना है। परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज ने बताया कि- कल की कथा में भक्त शिरोमणि श्री विभीषण जी की कथा का गान किया जायेगा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।