दुनिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो में कॉप 26 सम्मेलन में अपने भाषण के दौरान भारत का नजरिया दुनिया के सामने रखा। पीएम मोदी ने वेद मंत्र के साथ अपना अभिभाषण शुरू किया। उन्होंने कहा कि भारत ने हजारों साल पहले मंत्र दिया था। आज मैं आपके बीच उस भूमि का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं, जिस भूमि ने हजारों वर्षों पहले ये मंत्र दिया था, संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्’ आज 21वीं सदी में यह मंत्र और भी ज्यादा प्रासंगिक हो गया है। इसका अर्थ है कि सभी लोग आपस में मिल बैठक कर चर्चा करें। पेरिस सम्मेलन में मैं पूरी मानवता की चिंता लेकर यहां आया था। सर्वे भवन्तु सुखिन: हमारा मंत्र रहा है। वो मेरे लिए एक भावना थी, प्रतिबद्धता थी। भारत जैसा विकासशील देश जो करोड़ों लोगों को गरीबी से निकालने में जुटा है। जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक चर्चा के बीच मैं भारत की ओर से ‘पंचामृत’ भेंट करता हूं। पहला, भारत अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 2030 तक 500 गीगावाट तक लाएगा। दूसरा, 2030 तक भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकता का 50 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से पूरा करेगा। तीसरा, भारत अब से 2030 तक अपने शुद्ध अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कटौती करेगा। चौथा, 2030 तक भारत अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45 फीसदी से अधिक कम कर देगा। पांचवां 2070 तक भारत ‘नेट जीरो’ का लक्ष्य हासिल कर लेगा।