AH-64E: भारतीय थलसेना को अब अपाचे AH-64E लड़ाकू हेलीकॉप्टर की पहली खेप मिल चुकी है, जिसे राजस्थान के जोधपुर एयरबेस पर तैनात किया गया है. इससे पहले ये हेलीकॉप्टर केवल भारतीय वायुसेना के पास थे. अब थलसेना को इन शक्तिशाली हेलीकॉप्टरों की तैनाती से पश्चिमी सीमाओं पर तेजतर्रार प्रतिक्रिया करने की क्षमता हासिल हुई है.
इन हेलीकॉप्टरों की तैनाती भारत की सामरिक रणनीति को बदलने की क्षमता रखती है. यह फैसला इस बात को रेखांकित करता है कि भारतीय सेना अब मल्टी-डोमेन ऑपरेशनों की ओर बढ़ रही है, जहां थलसेना और वायुसेना के बीच तालमेल बेहद महत्वपूर्ण है.
अपाचे AH-64E की खासियत
उड़ान संबंधी क्षमताएः अपाचे हेलीकॉप्टर की अधिकतम गति 280 से 365 किमी/घंटा तक होती है. इसके साथ ही यह एक बार में 3.5 घंटे तक उड़ान भर सकता है और ऑपरेशनल रेंज 500 किमी तक जाती है (बाहरी फ्यूल टैंक के साथ और भी अधिक). इसका मतलब है कि यह लंबी दूरी तक गश्त और हमले कर सकता है.
ताकतवर हथियार: ये AGM-114 हेलफायर मिसाइल्स, हाइड्रा 70 रॉकेट्स और 30mm M230 चेन गन से लैस है, जो 625 राउंड प्रति मिनट फायर कर सकती है. ये टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों को आसानी से नष्ट कर सकता है.
लॉन्गबो रडार: इसका फायर कंट्रोल रडार दुश्मन के ठिकानों को दूर से भांप लेता है, यहां तक कि रात में या खराब मौसम में भी.
ड्रोन कंट्रोल: ये ड्रोन को रिमोट से कंट्रोल कर सकता है, जैसे MQ-1C ग्रे ईगल, जिससे जासूसी और हमले आसान हो जाते हैं.
खास डिजाइनः इसमें उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स, सेंसर और कॉम्पोजिट रोटर ब्लेड्स हैं, जो इसे रेगिस्तानी और ऊंचाई वाले इलाकों (जैसे राजस्थान या लद्दाख) के लिए बेहतरीन बनाते है.
सुरक्षा: इसका स्टील्थ डिजाइन और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम इसे रडार और मिसाइलों से बचाता है.
वजन क्षमताः इसका खाली वजन 6,838 किलोग्राम और अधिकतम टेक-ऑफ वजन 10,433 किग्रा है. इसे छोटे हथियारों, बुलेट्स और बैलिस्टिक मिसाइलों से सुरक्षा देने के लिए भी आर्मर से लैस किया गया है.
वायुसेना और थलसेना दोनों का मददगार
युद्ध के मैदान में अपाचे हेलीकॉप्टर न केवल वायुसेना बल्कि थलसेना का भी मददगार है. यह युद्ध में आर्मी स्ट्राइक कोर के हमले को एविएशन कवर देते हुए उसे और खतरनाक बनाएगा. इसमें दो पायलट एक के पीछे एक बैठते हैं. दो पायलट के साथ अपाचे दुश्मन के दांत खट्टे करने में सक्षम है. एक पायलट हेलीकाप्टर ऑपरेट करता है, जबकि पीछे बैठा को-पॉयलट टारगेट को लोकेट करता हुआ सिस्टम यानी वैपन एंड इंक्यूपमेंट्स को कंट्रोल और ऑपरेट करता है.
इसे भी पढ़ें:-Bihar: चुनाव आयोग ने वोटर रिवीजन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा, कही ये बातें