नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में आम्रपाली समूह के पूर्व निदेशक की जमानत याचिका खारिज कर दी। स्वास्थ्य कारणों के आधार पर दाखिल की गई इस याचिका पर शीर्ष अदालत ने कहा कि यह मेडिकल इमरजेंसी जैसा मामला नहीं है। अदालत ने अपने 23 जुलाई 2019 के फैसले में आम्रपाली समूह का पंजीकरण रद्द कर दिया था और कहा था कि आम्रपाली की लंबित परियोजनाओं को एनबीसीसी पूरा करेगी और समूह की लीज भी निरस्त कर दी थी। समूह के पूर्व निदेशक अनिल कुमार शर्मा, शिव प्रिय और अजय कुमार इस मामले में साल 2019 से जेल में बंद हैं। उनके खिलाफ घर खरीदने वालों के पैसे का कथित तौर पर दुरुपयोग करने के आरोप में कई मामले दर्ज हैं। ताजा याचिका शिव प्रिय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चार अगस्त के उनकी जमानत याचिका खारिज करने के फैसले के खिलाफ दाखिल की थी। लेकिन न्यायाधीश एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की पीठ ने भी उनकी याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने विशेष न्यायाधीश, पीएमएलए, लखनऊ को याचिकाकर्ता की ओर से दायर लंबित नियमित जमानत आवेदन पर शीघ्रता से और इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से एक महीने में निर्णय लेने का निर्देश दिया। अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील के आश्वासन का संज्ञान लिया कि आरोपी ट्रायल कोर्ट के समक्ष जमानत अर्जी के जल्द निपटान में पूरा सहयोग देगा। मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और अन्य एजेंसियां कर रही हैं।