बेंगलुरु भगदड़ के लिए RCB जिम्‍मेदार! कर्नाटक सरकार ने हाई कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट, हुए कई बड़े खुलासे

Bengaluru Stampede: रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के IPL 2025 की ट्रॉफी जीतने की खुशी में बेंगलुरु में आयोजित समारोह में मची भगदड़ में कई लोगों की मौत हो गई थी. वहीं, अब इस मामले कोलेकर कर्नाटक सरकार ने होई कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें सारा दोष RCB प्रबंधन पर मढ दिया गया है. साथ ही और भी कई बड़े खुलासे किए गए है, चलिए सभी के बारे में विस्‍तार से जानते है…

राज्‍य सरकार के रिपोर्ट में हुए ये खुलासे

नहीं ली गई औपचारिक अनुमति: कर्नाटक सरकार के रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु में कार्यक्रम के आयोजक DNA ने 2009 के सिटी ऑर्डर के अनुसार औपचारिक अनुमति लिए बिना ही पुलिस को 3 जून को विक्ट्री परेड के बारे में सूचना दी. परिणामस्वरूप, पुलिस ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था.

RCB ने पुलिस के इनकार को किया इग्नोर: रिपोर्ट के मुताबिक, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर ने पुलिस द्वारा इनकार किए जाने के बावजूद भी कार्यक्रम का प्रचार करना जारी रखा. इस दौरान  4 जून को उन्होंने सोशल मीडिया पर खुले तौर पर निमंत्रण शेयर किए. जिसमें विराट कोहली द्वारा वीडियो के जरिए की गई एक अपील भी शामिल थी. इसमें फैन्स से मुफ्त एंट्री वाले समारोह में शामिल होने का आग्रह किया गया था.

समारोह में उमड़ी भारी भीड़:  बेंगलुरु में आयोजित इस समारोह में करीब 3 लाख से भी ज्यादा लोगों की भारी भीड़ उमड़ी थी, जो भीड़ प्रबंधन के क्षमताओं से कहीं ज्यादा थी.

आखिरी समय में पास की जरूरत: रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यक्रम के आयोजन वाले दिन अचानक आयोजकों की तरफ से घोषणा की गई कि स्टेडियम में एंट्री के लिए पास की जरूरत होगी. ये घोषणा पहले से किए गए ऐलान का खंडन करती थी, जिसने भ्रम और दहशत का माहौल पैदा किया.

खराब क्राउड मैनेजमेंट: रिपोर्ट में बताया गया है कि RCB, DNA और KSCA (कर्नाटक स्टेट क्रिकेट असोसिएशन) प्रभावी ढंग से समन्वय करने में विफल रहे. एंट्री गेट पर मिस-मैनेजमेंट और खुलने में देरी के कारण भगदड़ मच गई. इसमें सात पुलिसकर्मी घायल हो गए.

सीमित कार्यक्रम की अनुमति: पुलिस ने आगे किसी भी अशांति को रोकने के लिए नियंत्रित परिस्थितियों में सीमित कार्यक्रम की अनुमति दी.

घटना के बाद के उपाय: वहीं, इस भगदड़ की घटना के बाद की गई कार्रवाई में मामले की मजिस्ट्रेट और न्यायिक जांच, एफआईआर दर्ज करना, पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव का निलंबन, राज्य खुफिया प्रमुख का ट्रांसफर और पीड़ितों के लिए मुआवजे की घोषणा शामिल है.

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