कॉलेजियम मुद्दा बस एक माइंडगेम है: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू

नई दिल्‍ली। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू अक्सर सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम व्यवस्था पर मुखर रहे हैं। अब अपने ताजा बयान में उन्‍होंने कहा कि कॉलेजियम मुद्दा बस एक माइंडगेम है और वह इस बारे में बात नहीं करेंगे। दरअसल केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों के लंबित रहने को लेकर सवाल किया गया था, जिस पर किरेन रिजिजू ने उक्त जवाब दिया। अरुणाचल प्रदेश में 4G सेवाओं वाले 254 मोबाइल टावरों के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान किरेन रिजिजू ने ये बयान दिया।

आपको बता दें कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति में केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच टकराव की कई खबरें आ चुकी हैं लेकिन पिछले कुछ समय में यह टकराव गहराया है। केंद्र सरकार जहां कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठा रही है। केन्द्रीय कानून मंत्री ने तो अपने एक बयान में कॉलेजियम व्यवस्था को संविधान से परे और एलियन भी बता दिया था। सरकार का कहना है कि नेशनल ज्यूडिशियल अप्वाइंटमेंट कमीशन के तहत न्यायपालिका में नियुक्तियां होनी चाहिए। वहीं सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम सिस्टम को बरकरार रखने के पक्ष में है और यही सरकार और सुप्रीम कोर्ट में टकराव की वजह बना हुआ है।

एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम के दौरान किरेन रिजिजू ने कहा कि ‘जजों की नियुक्ति पर तब तक विवाद रहेगा, जब तक कॉलेजियम सिस्टम रहेगा। रिजिजू ने कहा कि जब से कॉलेजियम सिस्टम आया है, तब से हाईकोर्ट के तीन वरिष्ठ जज तय करते हैं कि हाईकोर्ट का अगला जज कौन होगा। वही नाम भेजते हैं। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट में पांच वरिष्ठ जज नाम तय करते हैं और अपनी समझ के आधार पर तय करते हैं। जज उन्हीं का नाम भेजते हैं, जिन्हें वो जानते हैं।’

सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचे का विकास आवश्‍यक
अरुणाचल प्रदेश में मोबाइल टावर लगाए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में आधारभूत निर्माण की कमी है और मुश्किल इलाकों में यह स्थानीय लोगों के लिए एक बड़ी समस्या है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि पहले सुरक्षा बल और सीमावर्ती क्षेत्र के लोग नेपाली कंपनी के मोबाइल सिम पर निर्भर थे लेकिन पीएम मोदी को इस बारे में सूचित करने के बाद हालात बदल गए हैं। बुनियादी ढांचे की कमी सीमावर्ती इलाकों में आबादी कम होने की प्रमुख वजह है।

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