कोरोना काल में स्पेशल बनकर चल रहीं है सभी ट्रेनें…
नई दिल्ली। यात्रीगण कृपया ध्यान दें। कोरोना संक्रमण अभी खत्म नहीं हुआ है, जिसकी वजह से सभी ट्रेनें स्पेशल बनकर चल रही हैं। किराया भी अधिक वसूला जा रहा है, लेकिन सुविधा खत्म कर दी गई हैं। शताब्दी, राजधानी सरीखी ट्रेनों में यात्री टिकट दर के साथ जुड़े खाने की सुविधा से भी वंचित हैं। वातानुकूलित कोच में न तो कंबल मिल रहा है और न ही आरक्षित बर्थ पर बिछाने के लिए चादर। वैश्विक महामारी और कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए यात्रियों की सभी श्रेणियों की छूट (दिव्यांगजनों की 4, रोगियों और छात्रों की 11 श्रेणियों को छोड़कर) पिछले साल 20 मार्च से ही अगली सूचना तक वापस ले ली गई थी। इनमें वरिष्ठ नागरिक भी शामिल हैं, जिन्हें यात्रा किराया में मिलने वाली छूट नहीं मिल रही हैं। इस छूट को नहीं देकर रेलवे हर साल दो हजार करोड़ रुपया बचा रहा है। इस साल त्योहारों पर यात्रा करने के लिए लोगों की जेब ढीली हो रही है। कोविड से पूर्व हर साल अलग से स्पेशल ट्रेन चलाकर यात्रियों से यात्रा किराया रेलवे अधिक वसूलता था, लेकिन वैश्विक महामारी की आड़ में इन दिनों सभी ट्रेनें स्पेशल के नाम पर चल रही हैं। ये वहीं नियमित ट्रेने हैं, जो महामारी से पहले चलती थी। इन ट्रेनों की संख्या के आगे महज जीरो जोड़ा गया है। लिहाजा, यात्रा किराया भी 25-30 प्रतिशत तक अधिक हो गया है। सवाल यह भी है कि सब कुछ पटरी पर है तो ट्रेनें पहले जैसे क्यों नहीं चल रही हैं? स्पेशल, पूजा स्पेशल, हमसफर के नाम पर ज्यादा किराया क्यों लिया जा रहा है। रेलवे का तर्क है कि ट्रेनों का किराया नहीं बढ़ाया गया है। जिन ट्रेनों का किराया ज्यादा है, वे स्पेशल व फेस्टिवल स्पेशल हैं। पहले चलने वाली ट्रेनों के मुकाबले इनके स्टॉपेज कम हैं। ऑन डिमांड ट्रेनें चलाई जा रही है। सवारी ट्रेन को मेल एक्सप्रेस बनाकर चलाया जा रहा है।