नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी बार एसोसिएशन द्वारा हड़ताल या बहिष्कार की अपील के कारण वकीलों का कोर्ट की कार्यवाही में शामिल होने से मना करना गैरपेशेवराना और अनुचित है, क्योंकि वे कोर्ट की कार्यवाही को बाधित कर मुवक्किलों के हितों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। शीर्ष अदालत ने ये भी कहा कि एक वकील कोर्ट का अधिकारी होता है और समाज में उसका एक विशेष स्थान होता है। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने 27 सितंबर, 2021 को राजस्थान हाईकोर्ट के वकीलों के हड़ताल पर जाने संबंधित केस की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की। पीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, सचिव और अन्य पदाधिकारियों को नोटिस भेजकर ये पूछा है कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों न की जाए। पीठ ने कहा कि किसी वकील के लिए कोर्ट की कार्यवाही में शामिल होने से इनकार करना गैर पेशवराना और अनुचित है, भले ही ये कदम उसने बार एसोसिएशन या बार काउंसिल के हड़ताल या बहिष्कार की अपील के कारण ही क्यों न उठाया हो। एक वकील कोर्ट का अधिकारी होता है जो समाज में विशेष स्थान का लाभ उठाता है। कोर्ट की कार्यवाही सुचारू रूप से चले ये सुनिश्चित करना वकीलों का कर्तव्य और जिम्मेदारी है, वे अपने मुवक्किलों के प्रति भी जिम्मेदार होते हैं और हड़ताल से न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप होता है।