नई दिल्ली। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा या सर्वत्र विजय देने वाली विजयादशमी का त्योहार बड़े धूम-धाम से पूरे देश में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण तथा देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध करके धर्म और सत्य की रक्षा की थी। दुर्गा पूजा के उपरांत दसवें दिन मनाई जाने वाली विजयादशमी अभिमान,अत्याचार एवं बुराई पर सत्य, धर्म और अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस साल दशहरा 15 अक्टूबर, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। दशहरा का पर्व अवगुणों को त्यागकर श्रेष्ठ गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। भगवान श्रीराम, देवी भगवती, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और हनुमान जी की विशेष रूप से आराधना करके इस दिन सभी के लिए मंगल की कामना की जाती है। ज्योतिष में विजयादशमी को कोई भी शुभ कार्य करने के लिए श्रेष्ठ और सर्वसिद्धिदायक मुहूर्त माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो कार्य शुरू किया जाता है उसमें जीत अवश्य मिलती है। इस दिन बच्चों काअक्षर लेखन, दुकान या घर का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन,अन्न प्राशन, नामकरण, कारण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार आदि शुभ कार्य किए जा सकते हैं। परन्तु विजयादशमी के दिन विवाह संस्कार निषेध माना गया है। क्षत्रिय अस्त्र-शस्त्र का पूजन भी विजयादशमी के दिन ही करते हैं। पान का है महत्व:- पान मान-सम्मान, प्रेम एवं विजय का सूचक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद दहन के पश्चात् पान का बीणा खाना सत्य की जीत की ख़ुशी को व्यक्त करता है। विजयादशमी पर पान खाने, खिलाने तथा हनुमानजी, देवी दुर्गा को पान अर्पित करके उनका आशीर्वाद लेने का महत्त्व है। सेहत की दृष्टि से देखें तो शारदीय नवरात्रि के बाद मौसम में बदलाव के कारण संक्रामक रोग फैलने का खतरा बढ़ जाता है इसलिए स्वास्थ्य की दृष्टि से भी पान का सेवन पाचन क्रिया को मजबूत कर संक्रामक रोगों से बचाता है। नीलकंठ पक्षी के दर्शन का महत्व:- नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का ही रूप माना जाता है। रावण पर विजय पाने की अभिलाषा में श्रीराम ने पहले नीलकंठ के दर्शन किए थे। विजयदशमी पर नीलकंठ के दर्शन और भगवान शिव से शुभफल की कामना करने से जीवन में भाग्योदय, धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। शमी वृक्ष पूजन का महत्व:- महाभारत काल में पांडवों ने शमी के पेड़ के ऊपर अपने अस्त्र शस्त्र छिपाए थे, जिसके बाद युद्ध में उन्होंने कौरवों पर जीत हासिल की थी। इस दिन घर की पूर्व दिशा में शमी की टहनी प्रतिष्ठित करके उसका विधिपूर्वक पूजन करने एवं वृक्ष की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।