पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, शौनकादि ऋषियों को शिव की कथा सुनकर बड़ा आनंद आया, उन्होंने कहा सूत जी! हम आपका ऋण नहीं उतार सकते। संसार में गुरु का ऋण कभी कोई उतार नहीं सकता, यह आप समझ लो। दुनियां में हर वस्तु की कीमत लगाई जा सकती है,पारस की क्या कीमत लगाओगे आप? आप हर वस्तु के बदले कुछ दे सकते हो, लेकिन ज्ञान के बदले में आप कुछ दे नहीं सकते। ज्ञानदाता के आप सदा के लिये ऋणी हो, कर्जदार हो। उनके ऋण से आप कभी उऋण नहीं हो सकते। शास्त्रों में यहां तक लिखा है कि- गुरु एक अक्षर भी तुम्हारे कान में डाल दे, एक अक्षर भी, तब पृथ्वी में ऐसी कोई वस्तु है ही नहीं जिसे देकर तुम गुरु के ऋण से उऋण हो जाओ। गुरु के ऋण से कोई उऋण नहीं हो सकता। कबीरदासजी कहते हैं मेरी प्रत्येक कामना पूरी हुई, बस एक इच्छा पूरी नहीं हुई, बोले मैं अपने गुरु का कर्जा न उतार सका। कबीरदासजी! आपके तो बड़े-बड़े राजा-महाराजा, सेठ-साहूकार शिष्य हैं, आप चाहे लाखों करोड़ों रूपये दिलाकर उऋण हो सकते हैं। कबीर ने कहा संसार में कोई ऐसी वस्तु है ही नहीं, जो ज्ञान के बदले में देकर, ज्ञान के ऋण से उऋण हो जाएं क्योंकि ज्ञान के समान ज्ञान ही है। ज्ञान के समान पदार्थ नहीं हो सकते। कबीर जी का यह दोहा इस प्रकार से है। राम नाम के पटतरे देवे को कछु नाहिं। का दै गुरु संतोषीये चाह रही मनमाहिं।। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)