Edible Oil : केंद्र सरकार ने कुछ तेलों जैसे- कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर सीमा शुल्क घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। इस फैसले का मकसद खाद्य तेलों की कीमतों को कम कारना और खाने के तेल का कारोबार करने वाले कारोबारियों के हितों की रक्षा करना है। पहले इन तीनों कच्चे खाद्य तेलों पर शुल्क 20 प्रतिशत था। लेकिन अब भारत अपनी घरेलू खाद्य तेल आवश्यकता का 50 प्रतिशत से अधिक आयात करता है।
उपभोक्ताओं को मिलेगा लाभ
केन्द्र सरकार के इस फैसले के बाद उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अध्यक्ष संजीव अस्थाना का कहना है कि कच्चे तेल पर दामों की कमी से घरेलू कीमतों को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा।
केंद्रीय खाद्य सचिव ने फैसले की पुष्टि की
वित्त मंत्रालय ने अधिसूचना के जरिए खाद्य तेल पर लगने वाले आयात शुल्क को घटाने के फैसले की जानकारी दी। जानकारी के मुताबिक, ऐसे में केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा का कहना है कि सरकार ने कच्चे खाद्य तेलों पर मूल सीमा शुल्क 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। इस फैसले से उपभोक्ताओं को लाभ भी होगा और घरेलू कारोबारियों को क्षति भी नही पहुंचेगी।
इस फैसले के बाद मिली राहत
जानकारी के अनुसार, फैसले के दौरान उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने बताया कि कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर लगने वाला मूल सीमा शुल्क यानी कस्टम ड्यूटी को घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है। उन्होंने कहा, हाल ही में रिफाइंड पाम तेल का आयात बढ़ा है, क्योंकि यह कच्चे पाम तेल की तुलना में सस्ता है।
सरकार ने लिया साहसिक फैसला
एसईए के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने बयान देते हुए कहा कि ‘सरकार ने कच्चे और रिफाइंड तेलों के बीच शुल्क अंतर को 8.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 19.25 प्रतिशत करने का साहसिक फैसला सही समय पर लिया है। कच्चे पाम तेल की मांग बढ़ाने पर घरेलू रिफाइनिंग क्षेत्र में नई जान आएगी।’
सरकार के फैसले का किया स्वागत
बता दें कि उद्योग निकाय एसईए ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। घरेलू कारोबारियों और खाद्य तेल का प्रसंस्करण करने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए कच्चे और परिष्कृत खाद्य तेलों के बीच शुल्क का अंतर बढ़ाने की मांग लंबे समय से हो रही है।
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