परिवार है एक मंदिर: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि परिवार एक मंदिर हो, जिसमें एकता के देव बैठे हों और उस एकत्व की आराधना में परिवार के सभी सदस्य लगे हों। यह तब ही संभव है जब परिवार का मंदिर प्रेम की नींव पर खड़ा किया जाये और सच मानिए उस एकत्व की आराधना को ही ईश्वर की आराधना कहा जायेगा। जो छोटी सोच वाले लोग होते हैं, जिनकी सोच में संकीर्णता है। जो कूप मंडूक वृत्ति में जीने वाले लोग हैं, उनके मन में अपने और पराये का भेद रहता है। किंतु जो उदार चेता हो जाते हैं, उनके लिए संपूर्ण वसुधा या विश्व एक परिवार है।
समस्या आज यह है कि भ्रष्टाचार भी भगवान की तरह व्यापक होने लगा। किंतु भगवान् अविनाशी हैं, भ्रष्टाचार अविनाशी नहीं है। इसलिए हमें निराश होने की जरूरत नहीं है। जो अविनाशी है, उसका तो नाश नहीं हो सकता, लेकिन जो विनाशी है वह उत्पन्न हुआ है, हमारी बिगड़ी हुई व्यवस्था के कारण। यह राष्ट्र कभी गरीब था नहीं। हमारी जो व्यवस्था है, वह गरीब है और यह दुःख की बात है, यह पीड़ा की बात है कि आजादी के सात दशक बीत जाने के बावजूद भी हम अपनी व्यवस्था को अभी पूरा समृद्धि नहीं कर पाये। गांधी बापू ने भारत को जगाया। ऐसा जगाया कि भारत का एक-एक नागरिक उठ खड़ा हुआ। कई वर्षों से गुलामी की जंजीर में जकड़ा हुआ यह भारत मुक्त हो पाया। गांधी बापू के सत्याग्रह की नींव में था अध्यात्म। आतंकवाद का मुकाबला हमें करना है तो आध्यात्मिक व्यक्ति होना जरूरी है। आध्यात्मिक व्यक्ति कायर नहीं होता वह सबसे  ज्यादा निर्भय होता है। सत्याग्रही निर्भय होता है।भय तो उनके मन में होना चाहिए जो झूठ के रास्ते पर जा रहा है। श्री कृष्ण गीता में कहते हैं- यज्ञ, दान, तप यह तीन मनुष्य को पवित्र करने वाले साधन हैं। इसलिए कभी इसका त्याग नहीं करना चाहिए। यह निरंतर करते रहना चाहिए। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *