नई दिल्ली। देश के नए राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होगा और 21 जुलाई को यह साफ हो जाएगा कि नया महामहिम कौन होगा। इस समय देश की सत्ताधारी पार्टी एनडीए सरकार ने उड़ीसा प्रांत की द्रौपदी मुर्मू को जबकि विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को अपना अपना उम्मींदवार बनाया है। दोनों ही उम्मींदवार समर्थन जुटाने के लिए लगातार पार्टी स्तर पर संपर्क कर रहे है।
हालांकि भारत में राष्ट्रपति के चुनाव की जो प्रक्रिया है उससे सत्ता पक्ष के उम्मींदवार के पास अधिक मत दिखाई पड़ रहा है फिर भी जीतने के लिए अभी अन्य दलों से समर्थन का प्रयास जारी है। संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य, राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य समेत दिल्ली और पुडुचेरी के चुने हुए विधायक राष्ट्रपति के चुनाव में भागीदारी करते हैं। इस पद पर मतदान के लिए विशेष इंक वाला पेन मुहैया कराया जायेगा और वोट देने के लिए 1, 2 या 3 लिखकर पसंद बतानी होगी।
देश का संविधान लागू होने के बाद सन् 1950 से 2022 के बीच कुल 14 राष्ट्रपति मिल चुके है। सभी की अपनी विषेशता और महत्ता रही। डा. एपीजे अब्दुल कलाम जिनका राजनीति से कभी कोई लेना- देना नहीं रहा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र के माहिर मिसाइल मैन डा. कलाम राजनीतिक गलियारे में प्रवेश किए बिना ही राष्ट्रपति बने।
देश के राष्ट्रपतियों में डा. जाकिर हुसैन, वाराहगिरि वेंट गिरि, फखरूद्दीन अली, नीलम संजीवा रेड्डी, ज्ञानी जैल सिंह, आर. वेंकट रमन, डा. शंकर दयाल शर्मा, के.आर. नारायणन, प्रतिभा पाटिल और प्रणव मुखर्जी भी शामिल हैं। वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई 2022 को समाप्त होगा। राष्ट्रपति का यह नामकरण अमेरिकी संविधान के समान है परन्तु उसके कार्य एवं शक्तियों में बहुत अंतर है। भारतीय संघ की कार्यपालिका का वैधानिक प्रधान राष्ट्रपति है जबकि वास्तविक सत्ता मंत्री परिषद के पास होती है।
कैसे होती है वोटों की गिनती:-
केन्द्र की एनडीए सरकार के पास राष्ट्रपति चुनने के लिए उसके पास 5 लाख 26 हजार वोट हैं लेकिन जरूरी मत में 13 हजार वोटों की कमी है। इसे जुटाने के लिए प्रत्याशी अपना पूरा दम खम लगा रही है। राष्ट्रपति चुनाव 2022 के वोटों के गणित को समझें तो देश के सभी राज्यों में कुल 4790 विधायक हैं जिनके वोटों का मूल्य 542306 होता है। इसी प्रकार कुल सांसदों की संख्या 767 है जिनके मतों का कुल मूल्य भी करीब 536900 हो रहा है।
इस तरह राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल वोट लगभग 10.8 लाख (10,79,206 ) हैं। इसमें सत्ताधारी एनडीए के पास 5,26,420 वोट हैं। वहीं यूपीए के हिस्से में 2,59,892 वोट हैं। इसी प्रकार तृणमूल ग्रेस, वाईएसआरसीपी, बीजेडी और समाजवादी पार्टी सहित लेफ्ट के पास 2,92,894 वोट हैं। सत्ताधारी एनडीए को अपने उम्मींदवार को राष्ट्रपति बनाने में बहुत मुश्किल नहीं है परन्तु बाजी किसके हाथ लगेगी इसका खुलासा 21 जुलाई को ही होगा।
संसद में मजबूत ताकत रखने वाली बीजेपी कहां कमजोर हुई है इसे भी समझना सही रहेगा। बीजेपी का शिवसेना से थोड़ी साठ गांठ बढ़ी है लेकिन अभी स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हुआ है। अकाली दल से रिश्ता टूट गया है यह राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक बड़ा नुकसान है। तमिलनाडु में एआईएडीएमके के विधायकों की संख्या कम होने से साथ ही सत्ता के बाहर रहने से एनडीए की कमजोरी का दूसरा लक्षण है।
उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में चुनाव जीतकर बीजेपी सत्तासीन तो हुई परन्तु 2017 की तुलना में सीटें घट गयी। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी बीजेपी कमजोर हुई। इन सभी के चलते मजबूत केन्द्र सरकार वाली बीजेपी राष्ट्रपति चुनाव के लिए जरूरी वोट जुटाने में कम तर दिखती है। आंकड़े भले ही राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से एनडीए हर संभव प्रयास में जुट गई है।