पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ईश्वर की आराधना तभी हो सकेगी जब आपका जीवन सात्विक होगा। जब आपको बराबर सत्संग मिलता रहेगा और जीवन सात्विक होगा तो आपसे साधना हो जायेगी। अन्यथा साधना नहीं होगी। जीवन सात्विक नहीं रहने से हृदय सात्विक नहीं होगा और सात्विक हृदय हुए बिना साधना नहीं होगी। आम कच्चा है तो रस खट्टा है और पक गया तो मीठा है। जब तक आपका हृदय रजोगुण, तमोगुण से आवृत है, ढका हुआ है, तब तक भजन पूजन में खटास है, मिठास का अनुभव नहीं होगा आपको। और जहां मिठास का अनुभव नहीं हुआ, वहां रूचि नहीं होगी, वहां श्रद्धा नहीं होगी। लेकिन भजन में स्वाद तो तभी मिलेगा जब हृदय सात्विक हो जाये। सात्विक हृदय कैसे हो, उसके लिये शास्त्रों में बार-बार कहा है। आपका भोजन सात्विक हो, आपकी कमाई सात्विक हो, और आपका संग ही सात्विक हो, तथा संतों की सेवा हो रही हो तो धीरे-धीरे फिर आपका मन ईश्वर को पकड़ने लगेगा, समझने लगेगा, सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)