गाेरखपुर। हमारी आकाशगंगा से बाहर करीब 130 लाख प्रकार्श वर्ष दूर हुए खगोलीय घटना के अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि मैग्नेटार (विशेष प्रकार के न्यूट्रान तारे) निष्क्रिय अवस्था में भी सूर्य से एक लाख गुना ज्यादा चमकदार हो सकते हैं। इस खगोलीय घटना के अध्ययन में विस्फोट के चरम पर देखे गए, कई ऐसे स्पंदनों (दोलन) का रहस्योद्घाटन हुआ है, जिनसे इन खगोलीय पिंडों के बारे में अभी भी अल्पज्ञात विशाल चुंबकीय ज्वालाओं को समझना संभव हो पाएगा। इससे तीव्र रेडियो विस्फोटों के बारे में और अधिक जानने का मार्ग प्रशस्त होगा। जो अब तक के खगोल विज्ञान में सबसे गूढ़ घटनाओं में से एक है। नेचर पत्रिका ने अंडालूसिया शोध संस्थान (आईएए-सीएसआईसी स्पेन) के वैज्ञानिक प्रो. अल्बर्टो जे. कास्त्रो-तिराडो के नेतृत्व में वैज्ञानिक सहयोग समूह के शोधपत्र को प्रकाशित किया है। वैज्ञानिकों के इस समूह में भारत के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान, नैनीताल (एरीज) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शशि भूषण पांडेय और जेवियर पास्कुअल (आईएए-सीएसआईसी, स्पेन) और बार्गेन विश्वविद्यालय, नार्वे के शोधकर्ता डा. ओस्टगार्ड भी शामिल थे। बुधवार को डॉ. शशि भूषण पांडेय गोरखपुर में थे और उन्होंने अमर उजाला से शोध के बारे में विस्तार से चर्चा की। डा. पांडेय ने बताया कि मैग्नेटार एक विशेष रूप से चुंबकीय प्रकार का न्यूट्रॉन तारा है जो कि एक सेकेंड के दसवें हिस्से में सूर्य द्वारा 1,00,000 वर्षों में उत्पादित ऊर्जा के बराबर ऊर्जा उत्सर्जित किया है। यह मैग्नेटार विस्फोट 15 अप्रैल 2020 (जीआरबी 200415) को हुआ।