नई दिल्ली। भारत सहित दुनिया के 136 देशों के बीच कॉरपोरेट टैक्स की दर न्यूनतम 15 प्रतिशत रखने पर सहमति बन गई है। डेलॉइट इंडिया पार्टनर सुमित सिंघानिया ने कहा कि इससे डिजिटलाइजेशन की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। माना जा रहा है कि इस सहमति का लाभ भारत को मिल सकता है। इस सहमति से दुनिया के कर चोरी के लिए सुरक्षित देशों के पर कतरने में भी मदद मिलेगी। डेलॉइट इंडिया पार्टनर सुमित सिंघानिया ने कहा कि आयरलैंड और हंगरी के सहमत होने के बाद जी20 और सभी ओईसीडी देशों समेत 136 देशों में इस समझौते पर राजनीतिक सहमति बन गई है। उन्होंने कहा कि 2023 तक इस समझौते के अमल में आने पर सालाना 125 अरब कर लाभ का पुनर्वितरण होगा और बहुराष्ट्रीय कंपनियां न्यूनतम 15 प्रतिशत कर चुकाएंगी। एक बयान जारी कर डेलॉइट इंडिया पार्टनर सुमित सिंघानिया ने कहा कि डिजिटलीकरण की अंतर्राष्ट्रीय टैक्स चुनौतियों से निपटने की दिशा में विश्व समुदाय का ओईसीडी इन्क्लुसिव फ्रेमवर्क के दो स्तंभों वाले समाधान की दिशा बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि नए बनाए गए ‘साठगांठ और लाभ आवंटन नियम’(स्तंभ 1) और वैश्विक न्यूनतम कर नियम (स्तंभ 2) से ये सुनिश्चित होगा कि बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां कर का एक अच्छा-खासा हिस्सा भारत में चुकाएंगी। सामान्य शब्दों में कहें तो स्तंभ एक के तहत विभिन्न देशों के बीच लाभ के अतिरिक्त हिस्से के बंटवारे और स्तंभ दो के तहत टैक्स नियम और न्यूनतम टैक्स की बात दर्ज है। समझौते को 2023 तक अमल में आना है लेकिन स्तंभ दो को लागू करने की समय सीमा 2024 तक बढ़ा दी गई है।