भारत के शून्य कार्बन उत्सर्जन की घोषणा का आईएमएफ ने किया स्वागत

नई दिल्‍ली। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को घटाकर नेट जीरो तक लाने की भारत की घोषणा का स्वागत किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो में कॉप26 सम्मेलन के दौरान यह घोषणा की थी। आईएमएफ के जनसंपर्क विभाग के निदेशक गैरी राइस ने बृहस्पतिवार को यहां पत्रकारों से कहा कि कॉप26 में उत्सर्जन कटौती और नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ाने की भारत की घोषणा का हम स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे कि हम जानते हैं, भारत अभी कार्बन के सबसे बड़ उत्सर्जकों में एक है और बिजली उत्पादन के लिए कोयले पर निर्भर है। नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारी निवेश और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी नीतियों पर ध्यान देने से वह अपने नए लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ सकता है। अमेजन और एपल जैसी विशाल बहुराष्ट्रीय कंपनियों और भारत की महिंद्रा समूह एवं डालमिया सीमेंट (भारत) संस्थापक सदस्य के रूप में ‘फर्स्ट मूवर्स कोलिजन’ में शामिल हुए हैं जो कि शून्य कार्बन तकनीक की मांग बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने ये जानकारी दी है। इस गठजोड़ की घोषणा ग्लासगो में चल रहे कॉप 26 सम्मेलन के दौरान की गई है। 2050 के वैश्विक उत्सर्जन कटौती लक्ष्य को हासिल करने के लिए इसका आधा हिस्सा शुरूआती तकनीकी विकास, प्रदर्शन और प्रोटोटाइप फेज पर निर्भर है जबकि तकनीक को बाजार तक लाने और उसे सस्ता रखने के लिए इस दशक में नवोन्मेष की महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है। इस प्रयास को गति देने के लिए वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने जलवायु परिवर्तन पर अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी के साथ मिलकर फर्स्ट मूवर्स कोलिजन नामक मंच की घोषणा की है, जिसमें शामिल होकर कंपनियां तकनीक खरीद का वादा कर सकती हैं जिससे निमभन कार्बन वाली तकनीक के लिए बाजार तैयार हो सकेगा। कंपनियों द्वारा एक साथ किए जाने वाले वादे से इस बात की चिंता नहीं रहेगी कि कार्बन मुक्त तकनीक की खोज होने के बाद उसके लिए बाजार उपलब्ध होगा या नहीं। मंच तकनीकी समाधान की खोज के लिए परिचालन बल के रूप में काम करेगा। स्टील, सीमेंट, अल्युमिनियम, केमिकल, जहाजरानी, उड्डयन और ट्रकों के क्षेत्र में ये मंच ज्यादा ध्यान केंद्रित करेगा। वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में एक तिहाई हिस्सा इन्हीं क्षेत्रों का है। हालांकि इन क्षेत्रों में जीवाश्म ईंधन का सस्ता और स्वच्छ विकल्प अबतक उपलब्ध नहीं है। इस मंच के संस्थापक सदस्यों में एजिलिटी, एयरबस, अमेजन, एपल, बैंक ऑफ अमेरिका, बोईंग, डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड, महिंद्रा समूह समेत कई अन्य बड़ी कंपनियां शामिल हैं।

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