नई दिल्ली। उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों से पता चलता है कि ओजोन का छिद्र बड़ा होकर 2.48 करोड़ वर्ग किलोमीटर हो गया है। अंदाजन यह भारत के आकार से आठ गुना बड़ा है। नेशनल एरोनोटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) और नेशनल ओशेनिक एंड एटमॉसफेयरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में ओजोन छिद्र का आकार अधिकतम स्तर पर पहुंच गया है। 2021 में अंटार्कटिक ओजोन छिद्र सात अक्टूबर को अपने अधिकतम क्षेत्र में पहुंच गया और 1979 के बाद से यह 13वां सबसे बड़ा छिद्र है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आमतौर पर दक्षिणी हेम्पशायर से भी ज्यादा ठंड के कारण एक गहरा और औसत से ज्यादा बड़ा ओजोन छिद्र के नवंबर और दिसंबर तक बने रहने के आसार हैं। नासा के मुख्य भूविज्ञानी पॉल न्यूमैन ने बताया, इतना विशाल ओजोन छिद्र 2021 में औसत ठंड से ज्यादा सर्द होने के कारण है और मोंट्रियाल प्रोटोकॉल नहीं होता तो कहीं बड़ा हो सकता था। दक्षिणी ध्रुव केंद्र पर वैज्ञानिक ओजोन मापक यंत्र युक्त मौसम संबंधी गुब्बारे को उड़ाकर ओजोन छिद्र की निगरानी करते हैं। इस साल मौसम के शुरुआत में ही इसका अंदाजा हो गया था कि ओजोन छिद्र इतना बड़ा हो सकता है। अंटार्कटिका के ऊपर समतापमंडल में हर सितंबर में ओजोन परत के पतला होने के कारण ओजोन का छिद्र इतना बड़ा हुआ है। दरअसल सितंबर में बेहद ऊंचाई पर बर्फीले बादलों और मानव निर्मित यौगिक पदार्थों की प्रतिक्रिया से उत्पन्न रासायनिक रूप से सक्रिय क्लोरीन और ब्रोमीन के स्राव से ऐसा होता है। सर्दियों के अंत में अंटार्किटका में जब सूर्योदय होता है, ऐसे में प्रतिक्रियाशील क्लोरीन और ब्रोमीन ओजोन को तोड़ना शुरू करते हैं। विशेषज्ञों ने हालांकि कहा है कि 2021 का ओजोन छिद्र औसत से बड़ा है, फिर भी यह 1990 और शुरुआती 2000 के छिद्र से कहीं छोटा है।