अहमदाबाद। बदलते वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए चौथी औद्योगिक क्रान्ति की आवश्यकता महसूस की जा रही है। पहली बार 2016 में वर्ल्ड इकोनामिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) के संस्थापक और अध्यक्ष क्लास श्वाब ने विश्व के सामने चौथी क्रान्ति की परिकल्पना को रखा था। इण्डस्ट्रियल डेवलपमेण्ट रिपोर्ट 2020 के अनुसार चौथी औद्योगिक क्रान्ति में नैनो टेक्नालाजी, जैव प्रौद्योगिकी सहित नए उभरते प्रौद्योगिकी डोमेन के कनवर्जेंस और इसके अतिरिक्त तीन डी प्रिंटिंग, मानव मशीन इण्टरफेस और आर्टिफीशियल इण्टेलिजेंस, बिगडाटा एनालिटिक्स, एडवांस रोबोटिक्स जैसी प्रौद्योगिकी को इसमें शामिल किया गया है।
डब्ल्यूईएफ का मानना है कि चौथी औद्योगिक क्रान्ति हमारे जीने, काम करने और एक-दूसरे से सम्बन्धित होने के तरीके में आमूलचूल परिवर्तन ला रही है। यह मानव विकासका एक नया अध्याय है, जो पहली, दूसरी और तीसरी औद्योगिक क्रान्तियों से काफी अलग होगा। इस सन्दर्भ में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने अहमदाबाद में आयोजित केन्द्र-राज्य विज्ञान सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में एक नई बात कही जो पूरे विश्व के लिए भी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि भारत चौथी औद्योगिक क्रान्ति का नेतृत्व करेगा। इस दिशा में भारत आगे भी बढ़ रहा है। ऐसे में विज्ञान और इससे जुड़े लोगों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। देश को अनुसन्धान और नवाचार का वैश्विक केन्द्र बनाने के लिए साझा प्रयास करने होंगे। हमारे वैज्ञानिक पूरी तरह सक्षम हैं। वैज्ञानिकों की उपलब्धियां सराहनीय है। यह हमारे समाज और संस्कृति का हिस्सा बन जाएगा। नवाचार में भारत आगे बढ़ा है। विज्ञान के प्रति झुकाव युवाओं के डीएनए में है।
प्रधानमंत्री का यह नया स्वप्न और संकल्प है जिसे साकार करने में भारत सक्षम है। वैज्ञानिक उपलब्धियों में भारत ने विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। यह भी उल्लेखनीय है कि पहली और दूसरी औद्योगिक क्रान्ति के समय भारत गुलाम था। कम्प्यूटर के अविष्कार के साथ 1960 से तीसरी औद्योगिक क्रान्ति शुरू हुई, जिसमें भारत की भूमिका नहीं रही लेकिन चौथी औद्योगिक क्रान्ति में भारत इसका नेतृत्व कर सकता है। इस संकल्प को पूरा करना भारत के लिए असम्भव नहीं है। दृढ़ इच्छाशक्ति से इसमें जुड़ने से ही यह सम्भव हो सकेगा।