ISRO: 18 और 22 सि‍तंबर मि‍शन मून और सन के लि‍ए बेहद अहम, विक्रम लैंडर फिर से होगा सक्रिय

ISRO update: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का मि‍शन मून के पेलोड अब चांद पर रात होने के कारण निष्क्रिय हो गए है। इसरो ने सोमवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि अब चंद्रयान के पेलोड निष्क्रिय हो गए हैं। सफल ‘होप’ परीक्षण में विक्रम लैंडर को एक बार फिर चंद्रमा की सतह पर उतारा गया और इस परीक्षण से वैज्ञानिकों को भविष्य के चंद्र मिशनों में मदद मिलेगी जहां पृथ्वी पर नमूने भेजे जा सकते हैं और इससे भी महत्वपूर्ण कि उन मानव मिशनों में मदद मिल सकती है जिनकी योजना बनाई जा रही है।

 

इसरो ने बताया कि‍ चंद्रयान-3 मिशन का विक्रम लैंडर भारतीय समय के अनुसार सुबह करीब आठ बजे स्‍लीप मोड में चला गया। इससे पहले चास्ते, रंभा-एलपी और इलसा पेलोड द्वारा नये स्थान पर यथावत प्रयोग किए गए, जो आंकड़े संग्रहित किये गये, उन्हें पृथ्वी पर भेजा गया। उन्‍होंने कहा कि पेलोड को बंद कर दिया गया और लैंडर के रिसीवर को चालू रखा गया है। कमांड मिलने पर ‘विक्रम’ (लैंडर) ने इंजनों को ‘फायर’ किया, अनुमान के मुताबिक करीब 40 सेंटीमीटर तक खुद को ऊपर उठाया और आगे 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर सुरक्षित लैंड किया।

 

इसरो ने कहा कि ‘विक्रम’ लैंडर अपने मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में और आगे बढ़ गया। इस अभियान की खास बात तो यह है कि इस प्रक्रिया से अब भविष्य में ‘सैंपल’ वापसी और चंद्रमा पर मानव अभियान को लेकर आशाएं बढ़ गई हैं। सौर ऊर्जा खत्म हो जाने और बैटरी से भी ऊर्जा मिलना बंद हो जाने पर विक्रम, प्रज्ञान के पास ही सि‍ल्‍प मोड में चला जाएगा। उनके 22 सितंबर, 2023 के आसपास सक्रिय होने की उम्मीद है। इसरो ने कहा कि चंद्रमा पर जब 14 दि‍न जब सूरज नि‍कलेगा तो वि‍क्रम (लैंडर) फि‍र से जागेगा और चंद्रमा पर जानकारी जुटाएगा।

 

वहीं मि‍शन सूर्य यानी आदि‍त्‍य एल1 मंगलवार को पृथ्वी की दूसरी कक्षा सफलतापूर्वक प्रवेश कर चुका है। आदित्य L1 मिशन से जुड़े वैज्ञानिक प्रोफेसर दीपंकर बनर्जी ने बताया कि‍ मिशन के लिए 18 सितंबर और जनवरी के पहला हफ्ता बहुत अहम होगा। 18 सि‍तंबर को आदि‍त्‍य एल 1 पृथ्वी की ऑर्ब‍िट से बाहर नि‍कल जाएगा और उसके बाद यह 15 लाख किमी यात्रा तय करेगा। जनवरी का पहला हफ्ता भी बहुत महत्वपूर्ण जब यह आदि‍त्‍य L1 इन्सर्सन प्‍वाइंट पर रहेगा। उन्‍होंने बताया कि‍ एक बार हम पहुंच गए तो 5 साल रहेंगे और ज़्यादा समय तक भी रह सकते है।

 

 

 

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