जैन तीर्थंकरों की भी साधना स्थली रही है काशी, आज निकलेगी शोभायात्रा

वाराणसी। शिव की नगरी काशी जैन धर्म जैन तीर्थंकरों की भी जन्म और साधना स्थली रही है। जैन धर्म के चार तीर्थंकरों ने काशी में जन्म लिया और जैन श्रावकों को अपने ज्ञान और तप से नई राह दिखाई। वाराणसी जैन धर्म के सातवें तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ, आठवें तीर्थंकर चंद्र प्रभु, 11वें तीर्थंकर श्रेयांस नाथ और 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ की जन्मस्थली है।

दिगंबर जैन समिति के उपाध्यक्ष राजेश जैन ने बताया कि 24 में से चार तीर्थंकरों का जन्मस्थान काशी में है और यह हमारे समाज के लिए पूजनीय स्थल है। 23वें तीर्थंकर श्रीपार्श्वनाथ जैन तीर्थ का जन्मस्थान तो सबसे खास है। उन्होंने भेलूपुर में 2880 वर्ष पहले काशी के महाराज अश्वसेन के महल में जन्म लिया था।

सातवें तीर्थंकर श्रीसुपार्श्वनाथ भगवान का जन्मस्थान भदैनी में गंगा के तट पर है। आठवें तीर्थंकर चंद्र प्रभु का जन्मस्थान चौबेपुर के पास चंद्रावती गांव है। ये भी गंगा किनारे ही जन्मे। 11वें तीर्थंकर श्रेयांसनाथ का जन्म सारनाथ में हुआ। काशी के वन और उपवनों में चारों तीर्थंकरों ने ज्ञान की खातिर तप किया।

जन्मकल्याणक पर निकलेगी शोभायात्रा

आज जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का 2622वां जन्म कल्याणक महोत्सव है। जैन समाज की ओर से शोभायात्रा, पूजन और अभिषेक के साथ ही शांतिधारा के अनुष्ठान भी होंगे।  श्री दिगंबर जैन समाज के उपाध्यक्ष राजेश जैन ने बताया कि पंचशील सिद्धांत के प्रवर्तक भगवान महावीर के जन्मोत्सव पर शोभायात्रा निकाली जाएगी।

भगवान महावीर जन्म कल्याणक शोभायात्रा श्री बिहारी लाल दिगंबर जैन मंदिर मैदागिन से शुरू होकर बुलानाला, नीचीबाग, आसभैरो, चौक, ठठेरी बाजार, सोराकुआं होते हुए दिगंबर जैन पंचायती शीशे वाला मंदिर ग्वाल दास साहू लेन पहुंचेगी। मंदिर में भगवान महावीर का पूजन अर्चन करने के साथ 108 कलश के जल से अभिषेक किया जाएगा।

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