वास्तु। वास्तु वह कला है,जो दस दिशाओं तथा पंच तत्वों पर आधारित होती है। किसी भी दिशा या तत्व के दोषयुक्त हो जाने पर वास्तु नकारात्मक प्रभाव देने लगती है, जिससे कारण वहां निवास करने वालों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
क्या है ब्रह्मस्थान:-
ब्रह्मा स्थान किसी भूखंड का मध्य भाग कहलाता है। पुमाकृति के कारण वास्तु पुरुष का पेट,अंतड़ियां, गुहा प्रदेश व जंघाओं का संधिस्थल ब्रह्म स्थान के भाग हैं। जिस प्रकार पेट से पूरे शरीर का नियंत्रण होता है,उसी प्रकार ब्रह्मस्थान से भी पूरे घर को स्वच्छ वायु,स्वच्छ प्रकाश एवं ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
सम्पूर्ण घर में ब्रह्मस्थान से ही ऊर्जा का प्रवाह होता है। वृहत संहिता में इस बात पर विशेष बल दिया गया है कि जो गृहस्वामी खुशहाली चाहते हैं,वे ब्रह्मस्थान को अत्यंत सुरक्षित रखें। ब्रह्मस्थान को हम यदि किसी भी कारण पीड़ा देंगे तो व्यक्ति के अस्तित्व पर ही संकट आ जाता है। ब्रह्मा सृष्टा हैं और उन्हें अपमानित करके मनुष्य कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकता।
क्या करें:-
पुरानी शैली में बने घरों,हवेलियों और महलों में ब्रह्मस्थान पर खुला आंगन जरूर होता था। खुला हुआ ब्रह्मस्थान घर के अन्य वास्तुदोषों के कुप्रभावों को कम करने में सक्षम होता है। आजकल की शैली के मकानों में खुला हुआ आंगन नहीं छोड़ा जाता है।
ऐसी स्थिति में घर में खुला क्षेत्र इस प्रकार उत्तर या पूर्व की तरफ रखें जिससे सूर्य का प्रकाश एवं हवा मकान में अधिकाधिक प्रवेश कर सके। सुख-समृद्धि और निरोगी जीवन की प्राप्ति के लिए अपने घर का निर्माण इस प्रकार करें कि ब्रह्मस्थल दोषमुक्त हो।
यह स्थान आध्यात्म और दर्शन से सम्बन्ध रखता है। इस स्थान पर नियमित रूप से भजन,कीर्तन,रामायण पाठ अथवा गीता का पाठ करने से दोषपूर्ण ब्रह्मस्थान से उत्पन्न हुई परेशानियों का निदान हो जाता है। अगर संभव हो सके तो इस स्थान में तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं।
क्या न करें:-
ईशान कोण की ही भांति इस स्थान को भी सदैव साफ़-सुथरा व हल्का रखना चाहिए। घर के मध्य का यह स्थान थोड़ा सा ऊंचा होना चाहिए। यदि हम ब्रह्मस्थान पर जल डालें तो वह चारों तरफ फ़ैल जाए। इस जगह में गड्ढा या मकान का मध्य बैठा हुआ नहीं होना चाहिए नहीं तो गृहस्वामी को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ सकता है।
यहां भारी फर्नीचर नहीं रखें,यथासंभव इस स्थान को खाली रखें । ब्रह्मस्थान में सीढ़ी,वीम,खंभा,भूमिगत पानी की टंकी,बोरिंग,सेप्टिक टैंक,शौचालय इनका निर्माण नहीं किया जाना चाहिए। इस जगह झाड़ू,पौंछा आदि वस्तुएं बिल्कुल न रखें। ब्रह्मस्थान पर कभी भी अग्नि से सम्बंधित कार्य नहीं करें,क्योंकि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों में मन-मुटाव हो जाता है। ब्रह्मस्थान में जूठन इत्यादि भी नहीं डालनी चाहिए।