वास्तु। दर्पण हमें हमारे व्यक्तित्व की झलक दिखाता है। घर की किस दिशा में, किस आकृति का दर्पण लगा है, इसका भवन एवं वहां की आस-पास की ऊर्जा पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए वास्तु में इसके सही इस्तेमाल पर खास दिया जाता है। क्योंकि सही दिशा में दर्पण लगाकर यदि वास्तुदोष का निवारण किया जा सकता है, तो वहीं इसके गलत दिशा में लगे होने से नकारात्मक ऊर्जा के स्तर में वृद्धि हो जाती है जिसके कारण स्वास्थ्य एवं धन की हानि हो सकती है।
सकारात्मक ऊर्जा का हो प्रवेश:-
वास्तु शास्त्र के अनुसार सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह पूर्व से पश्चिम की ओर एवं उत्तर से दक्षिण की ओर रहता है। इसलिए दर्पण को हमेशा पूर्व और उत्तर वाली दीवारों पर इस प्रकार लगाना चाहिए कि देखने वाले का मुख पूर्व या उत्तर में रहे। इन दिशाओं में दर्पण लगाने से जीवन में उन्नति एवं धन लाभ के अवसर बढ़ जाते हैं। पश्चिम या दक्षिण दिशा की दीवारों पर लगे दर्पण,पूर्व और उत्तर से आ रही सकारात्मक ऊर्जाओं को रिफ्लेक्ट कर देते हैं।
बेड़रूम में न लगाएं:-
शयन कक्ष में दर्पण नहीं लगाएं, ऐसा करने से दाम्पत्य जीवन में विश्वास की कमी आती है। इसके साथ ही पति-पत्नी में आपसी मतभेद भी बढ़ता है एवं पति-पत्नी को कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं। पति-पत्नी दोनों को दिनभर थकान महसूस होती है, आलस्य बना रहता है। यदि ड्रेसिंग टेबल रखना जरूरी ही हो तो इस तरह रखें कि सोने वालों का प्रतिबिम्ब उसमें दिखाई न दे, या फिर सोने से पहले इसे ढक दें। यह भी ध्यान रहे कि जहां दर्पण लगा हो उसमें नकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने वाली वस्तुओं का प्रतिबिम्ब दिखाई न पड़े।
फेस वॉश करने के बाद अथवा स्नान करने के बाद खुद को देखने के लिए लोग बाथरूम में दर्पण लगाते हैं। वास्तु विज्ञान के अनुसार बाथरूम में दर्पण लगाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दर्पण दरवाजे के ठीक सामने नहीं हो। दर्पण का काम होता है रिफ्लेक्ट करना, जब हम बाथरूम में प्रवेश करते हैं तो हमारे साथ सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा दोनों ही बाथरूम में प्रवेश करती है। जब हम सोकर उठते है तब नकारात्मक ऊर्जा की मात्रा अधिक होती है, दरवाजे के सामने दर्पण होने से हमारे साथ जो भी ऊर्जा बाथरूम में प्रवेश करती है वह वापस घर में लौट आती है। नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए बाथरूम में दर्पण इस प्रकार से लगाना चाहिए ताकि इसका रिफ्लेक्शन बाथरूम से बाहर की ओर नहीं हो।
साफ़, स्पष्ट एवं वास्तविक छवि दिखाई देने वाला दर्पण ही काम में लें। नुकीला, चटका हुआ या धुंधला दिखाई देने वाला दर्पण अनेक समस्याओं का कारण बन सकता है। दर्पण जितने हल्के और बड़े होंगे, उनका प्रभाव उतना ही अच्छा होगा। शुभफलों में वृद्धि के लिए दीवार पर आयताकार, वर्गाकार या अष्टभुजाकार दर्पण लगाने का ही प्रयास करें।