पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कश्यप और अदिति के यहां जब भगवान् गणपति प्रगट हुए। सारे ब्रह्माण्ड में यह समाचार फैल गया कि दुष्टों का संहार करने के लिए, भक्तों की रक्षा करने के लिए, आदि देवता गणपति महोत्कट विनायक के रूप में प्रगट हो चुके हैं। दैत्यों के कान खड़े हो गये, दैत्यों ने सोचा वृक्ष मजबूत हो, अपनी जड़ें मजबूत कर ले, विष वृक्ष को उखाड़ कर फेंक देना चाहिए। दैत्यों ने कहा भगवान् गणपति हमारे लिए विष वृक्ष के समान है। यदि यह बड़े हुए तो खतरा है। इनको मारने का यथाशीघ्र प्रयास करना चाहिए। मनमाना आचरण करने वाले दैत्यों को भगवान दंड देते हैं, इसलिए दैत्य भगवान गणपति से भयभीत रहते हैं।
किस्ती को डुबा दे जो उसे तूफान कहते हैं।
तूफानों से जो टक्कर ले उसे इंसान कहते हैं।।
इंसान वही है जो संघर्षशील रहता है। घबराता नहीं है। आने वाली विषम परिस्थितियों में अपना संतुलन नहीं खोता, उसे पता है कि प्रस्तुत परिस्थिति भी सदैव नहीं रहेगी। यह दुःख भी नहीं रहेगा, सर्दी नहीं रही, गर्मी नहीं रही, वर्षा नहीं रही, मां बाप नहीं रहे, दादा दादी नहीं रहे, तब यह विपत्ति कब तक रहेगी। विपत्ति भी जाने के लिए आई हुई है, चली जायेगी। विपत्ति बिना बुलाए आती है और जब समय पूरा होता है तो बिना बताये चली जाती है। इसीलिए भगवान् ने कहा अगर आपने अपना संतुलन नहीं खोया, सो अमृतस्त्वाय कल्पते, वही मोक्ष का भागीदार बनता है। वही ईश्वर को प्राप्त करने का अधिकारी बनता है। क्योंकि विपरीत परिस्थिति में चिंता करोगे तो भजन छूटेगा। अनुकूल परिस्थिति आ गई तो सुख पाने में रहोगे तो भी भजन छूटेगा। हमारा संकट दूर करो फिर भजन करेंगे। वो भजन कर ही नहीं सकता। जो हर परिस्थिति में भजन करने को तैयार है, वही भजन करेगा। प्रभु विकट से विकट परिस्थिति आ जाये पर मेरा भजन न छूटने पाये, वही हमेशा भजन के धुन में रहता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।