Modi In PMO: लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पीएमओ में कर्मचारियों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में वैश्विक मापदंडों से भी आगे जाकर काम करना है. जहां कोई नहीं पहुंचा, अपने देश को हमें वहां पहुंचाना है.
पीएम मोदी ने कहा कि ”मेरा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि PMO सेवा का अधिष्ठान और People’s PMO (जनता का प्रधानमंत्री कार्यालय) बने. उन्होंने कहा कि सरकार का मतलब सामर्थ्य, समर्पण और संकल्पों की नई ऊर्जा है. हमारी टीम के लिए न तो समय का बंधन है, ना सोचने की सीमाएं और न ही पुरुषार्थ के लिए कोई तय मानदंड. इस विजय के बड़े हकदार भारत सरकार के कर्मचारी हैं, जिन्होंने एक विजन के लिए खुद को समर्पित कर देने में कोई कमी नहीं रखी. ये चुनाव सभी सरकारी कर्मचारी के 10 साल के पुरुषार्थ पर मुहर लगाते हैं.
‘जहां कोई नहीं पहुंचा, वहां देश को पहुंचाना है’
उन्होंने आगे कहा कि जो विकसित भारत के संकल्प को साकार करने के लिए समर्पित भाव से खप जाना चाहते हैं, उन सभी को मेरा निमंत्रण है. अब 10 साल जो मैंने सोचा, उससे ज्यादा सोचने और करने का समय है. जो करना है, वैश्विक मापदंडों को पार करते हुए करना है. जहां कोई नहीं पहुंचा, अपने देश को हमें वहां पहुंचाना है.
‘अस्थिर इच्छाएं दुनिया की नजरों में तरंग होती हैं’
पीएम मोदी ने कहा कि क्रिकेट का दौर आता है तो किशोरवय के बच्चे सोचते हैं कि मैं क्रिकेटर बन जाऊं. कोई फिल्म लोकप्रिय हो गई तो लगता है कि ये फील्ड अच्छा है, मैं एक्टर बन जाऊं. चंद्रयान की घटना घटे तो लगेगा कि मैं वैज्ञानिक बन जाऊं. इसी तरह ज्यादातर लोगों की इच्छाएं अस्थिर होती हैं. यह तरंग की तरह होता है. जब लंबे अरसे तक इच्छाओं को स्थिरता मिल जाए तो वह संकल्प में बदल जाती है. वहीं, संकल्प में जब परिश्रम की पराकाष्ठ जुड़ जाए तो सिद्धि प्राप्त होती है. उन्होंने कहा कि सफल इंसान वो होता है, जिसके भीतर का विद्यार्थी कभी नहीं मरता नहीं है.
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