यात्रा। भारत का एक ऐसा देश है जो बहुत अनूठा, प्राकृतिक रूप से बेहद समृद्ध और काफी खूबसूरत है। यहां पहाड़ भी हैं, जंगल भी, झरने और नदियां भी और बहुत खूबसूरत फूल और पंछी भी। यहाँ रहने वाली जनजातियां और उनकी लोककलाएं, उनकी परम्पराएं भी काफी आकर्षक है। उत्तर पूर्वी भारत का हिस्सा नागालैंड पर्यटन के लिए एक बहुत ही खूबसूरत विकल्प है। केवल यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य ही नहीं, यहाँ मनाये जाने वाले कुछ विशेष त्यौहार भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं। इन त्योहारों में गीत-संगीत, अनूठी, रंग-बिरंगी और कलात्मक वेश-भूषाएं, ढेर सारे खेल-कूद और मनोरंजन सभी कुछ शामिल होता है। हर वर्ष बड़ी तादात में देश-विदेश के पर्यटक यहाँ इन त्योहारों का हिस्सा बनने और लोककलाओं को करीब से जानने के लिए आते हैं। तो आइए ऐसे कुछ स्थानीय त्योहारों के बारे में जानते हैं जिनका आनंद आप नागालैंड भ्रमण के दौरान ले सकते हैं।
जनजातीय जीवन से भरपूर:-
नागालैंड में एक दर्जन से भी अधिक ट्राइबल ग्रुप्स हैं। ये सभी अलग अलग परम्पराओं को मानते और जीते हैं। इनके जीवन में लोक संगीत, नृत्य और प्राकृतिक खान-पान का विशेष स्थान होता है। यहां अधिकतर लोक उत्सव फसलों पर आधारित हैं जिन्हें नई फसल के साथ नए वर्ष के रूप में भी सेलिब्रेट किया जाता है और इनका अपना एक समृद्ध इतिहास है। ये लोक उत्सव यहाँ बीते कई वर्षो से मनाये जाते हैं। इनमें पारम्परिक वेशभूषा के साथ सजी कबीलाई सभ्यता को पास से देखने और जानने का अवसर मिलता है। ऐसे कुछ उत्सवों में शामिल हैं-
सुखनयय फेस्टिवल:-
चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के जरिए अच्छी फसल के साथ-साथ अच्छी सेहत और भरपूर ताकत से नवाजने के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया जाता है। मार्च महीने के शुरूआती दिनों में हर वर्ष यह फेस्टिवल चाखेसांग जनजाति द्वारा सेलिब्रेट किया जाता है। यह भी एक तरह से वर्ष की शुरुआत का स्वागत ही होता है। हर दिन पूजा और आराधना के साथ ही अलग परम्परा के साथ ईश्वर को धन्यवाद कहा जाता है और आखिरी दिन नदी या कुएं में स्नान कर शुद्धि की जाती है। नागालैंड के फैक जिले में मुख्यतः पर्यटक इस उत्सव का आनंद उठाने आते हैं।
सेक्रेनी फेस्टिवल :-
नागालैंड के आगामी जनजाति में मनाया जाने वाला यह फेस्टिवल भी फरवरी से मार्च के पहले हफ्ते तक चलता है। यह करीब 10 दिनों तक मनाया जाता है। इसलिए इसका आनंद लेना है तो आपको लम्बी वैकेशन प्लान करनी होगी। फेस्टिवल के पहले दिन केवल अविवाहित युवाओं को ही इसके आयोजन की जिम्मेदारी संभालनी होती है। जबकि चौथा दिन युवा दम्पत्तियों के नाम होता है। इस दौरान यदि कोई युवक-युवती एक-दूसरे को पसंद कर लेते हैं तो वे एक-दूसरे को उपहार देकर इसका इजहार करते हैं। शिकार इस उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और शिकार किये गए जानवर को ही भोज में भी शामिल किया जाता है। यह उत्सव कोहिमा जिले में खासतौर पर मनाया जाता है।
एलेंग-मोन्यु फेस्टिवल :-
कोयांक नागा ट्राइब में अप्रैल के महीने में मनाया जाने वाला यह त्योहार वसंत के स्वागत का प्रतीक है। इसे मोन जिले में बड़ी धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है। कोयांक कैलेंडर के हिसाब से यह नव वर्ष भी है और इस तरह इस उत्सव को मनाने की 2 बड़ी वजहें हो जाती हैं। नृत्य, संगीत और खाना तो इस उत्सव का हिस्सा होता ही है, इसके अलावा कबीले से जुड़ी परम्पराओं और पूजा-पाठ का भी इसमें बहुत महत्व होता है। सभी मिलकर पहले तीन दिन उत्सव के लिए कपड़े बुनने और पारम्परिक बियर बनाने का काम करते हैं, इसके बाद सेलिब्रेशन शुरू होता है। आखिरी के दो दिन सभी मिलकर घरों और गाँव की सफाई करते हैं।
नाक्नयुलम फेस्टिवल :-
चांग समुदाय द्वारा जुलाई-अगस्त के महीने में मनाये जाने वाले इस त्योहार का पहला दिन ‘वेंशी’ या आयोजन की तैयारी के रूप में मनाया जाता है। महिलाएं मिलकर बाजरे की ताज़ी फसल और स्टिकी राईस से आटा तैयार करती हैं और इसको पत्तों में लपेटकर, भाप में पकाकर बिस्किट व केक बनाये जाते हैं। ईश्वर से प्रार्थना की जाती है कि जीवन में दुखों का अन्धेरा कभी न छाये। इस त्योहार का एक सबसे मजेदार भाग कई तरह की खेल प्रतियोगिताएं भी हैं। इनमें लकड़ी के लट्टू (जो कि प्रतियोगी ही तैयार करते हैं) घुमाने से लेकर रस्साकशी, लॉन्ग जंप, हाई जंप आदि शामिल होते हैं। खेलों में आपकी रूचि है तो यहां आपको बहुत मजा आएगा।
टुलुनी फेस्टिवल :-
सुमि जनजाति द्वारा मनाया जाने वाला यह फेस्टिवल भी जुलाई के महीने में पहले ही हफ्ते के तीन दिनों तक सेलिब्रेट किया जाता है। इस त्योहार का मकसद नई फसल के लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा करने के साथ ही, नए जोड़ों का समुदाय में स्वागत करना और एक-दूसरे से घुलना मिलना, संगीत व भोज के साथ आनंद मनाना होता है। यानी यह एक तरह का गेट टुगेदर है। लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं और परिवार के साथ मिलकर स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठाते हैं।
खर्च और सुविधाएँ :-
नागालैंड के जनजातीय इलाकों में अब टूरिज्म को बहुत बढ़ावा मिल गया है। कोहिमा, दीमापुर जैसे स्थानों पर बकायदा 2-4 स्टार होटल्स आसानी से मिल सकते हैं। हां, शाकाहारी लोगों के लिए विकल्प बहुत सीमित हो सकते हैं लेकिन खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों, आनंददायक फेस्टिवल्स और विविध जनजातीय परम्पराओं, लोक कलाओं को पास से देखने का अनमोल अवसर इस कमी को भुला देता है। खासकर एडवेंचर, वाइल्ड लाइफ, नेचर, आर्ट, फोटोग्राफी, आदि में रूचि रखने वालों के लिए यह एक शानदार ट्रीट हो सकती है। यहां तक पहुंचने में थोड़ी मशक्क्त अवश्य करनी पड़ेगी लेकिन प्री बुकिंग के साथ यह आसान बन सकता है। अधिकतर टूरिज्म साइट प्री बुकिंग के साथ अच्छे ऑफर प्रदान करवाती हैं। कुल 20, 000-35,000 रूपये प्रति व्यक्ति खर्च में आप 5-6 दिनों का समय यहां आसानी से गुजार सकते हैं।